Feb 3, 2024, 08:23 PM IST

कौन है वो इकलौता पाकिस्तानी, जिसे मिला था भारत रत्न

Kuldeep Panwar

सरकार ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान से नवाजने की घोषणा की है. यह देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है.

भारत का सर्वोच्च सम्मान होने के बावजूद यह अवॉर्ड कुछ विदेशी नागरिकों को भी मिला है. इनमें एक पाकिस्तानी भी शामिल हैं, जिन्हें महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ही नहीं सरदार पटेल भी बहुत मानते थे.

भारत रत्न से नवाजे जाने वाले इकलौते पाकिस्तानी नागरिक खान अब्दुल गफ्फार खान थे, जिन्हें लोग प्यार से 'बादशाह खान' और 'सीमांत गांधी' कहकर भी बुलाते थे.

खान अब्दुल गफ्फार खान उन नेताओं में थे, जो भारत को बांटने के खिलाफ थे. हालांकि उन्हें बंटवारे के बाद पश्तून इलाके पाकिस्तान में आने के कारण वहां जाकर रहना पड़ा.

बादशाह खान को मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी खिलाफत करने की सजा दी और उन्हें पाकिस्तान में देशद्रोही घोषित कर दिया गया. बादशाह खान 1988 में आखिरी सांस लेने तक पाकिस्तान में नजरबंद रहे.

42 साल जेल की सलाखों के पीछे गुजारने वाले बादशाह खान का कसूर इतना था कि उन्होंने भारत के बंटवारे को नहीं रोके जाने पर पठानों के लिए अलग पश्तूनिस्तान देश की मांग की थी.

पेशावर में 6 फरवरी 1890 को जन्मे खान अब्दुल गफ्फार खान ने अलीगढ़ से ग्रेजुएशन की थी. स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ जाने के कारण वे आगे पढ़ने के लिए लंदन नहीं गए थे.

1919 में पेशावर में मार्शल लॉ लागू होने पर खान अब्दुल गफ्फार खान को पहली बार छह महीने के लिए जेल भेजा गया. उन्होंने खुदाई खिदमतगार संगठन बनाया, जो तेजी से पॉपुलर हो गया.

1928 में पहली बार महात्मा गांधी से मिलने के बाद खान अब्दुल गफ्फार खान अहिंसावादी बन गए और फिर वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख चेहरा बने.

भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान बनने पर अलग पश्तून देश की मांग करते हुए सीमांत गांधी ने जिन्ना और उनके समर्थकों को खुलेआम भेड़िया कहा था.

भारत ने 1987 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा. उस समय वे यह सम्मान पाने वाले पहले गैर-भारतीय नागरिक बने थे.

20 जनवरी, 1988 को पाकिस्तान सरकार की नजरबंदी में बादशाह खान का निधन हुआ. जीवन भर अहिंसावादी रहे बादशाह खान के जनाजे में उनके विरोधियों ने दो बम विस्फोट किए थे, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी.