हनुमान जी के पद चिह्न से रावण के महल तक, आज भी मौजूद हैं रामायण काल के 5 प्रमाण
Utkarsha Srivastava
भारत के महाकाव्य रामायण से जुड़े कई प्रमाण आज भी मौजूद हैं. रामायण काल के 5 सबूत इस युग में मिल चुके हैं.
2007 में श्रीलंका सरकार की एक रिसर्च कमेटी ने अशोक वाटिका के प्रमाण मिलने की पुष्टि की थी. माता सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थीं वो जगह सीता एल्या के नाम से प्रसिद्ध है. इसी को अशोक वाटिका बताया गया था.
रामायण में इस बात का वर्णन है कि जब माता सीता को खोजने के लिए हनुमान जी समुद्र पार करने वाले थे तब उन्होंने विशाल रूप धारण किया था. उस वक्त उनके पैरों के नीचे की जमीन धंस गई थी और उनके पद चिह्न बन गए थे. हनुमान जी के चरणों के ये निशान आज भी श्रीलंका में मौजूद हैं.
लक्ष्मण जी को दी गई संजीवनी बूटी के सबूत भी मिले हैं. हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों का मिलना रामायण काल का प्रमाण माना गया है.
रामायण के अध्याय सुंदर कांड में लंका की रखवाली करने वाले विशालकाय हाथियों का वर्णन है. दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में इन विशालकाय हाथियों के भी अवशेष मिल चुके हैं.
श्रीलंका में रावण का महल भी मिला है. पुरातत्व विभाग को रिसर्च के बाद रावण के महल के आस-पास काली मिट्टी के अवशेष मिले हैं, बताया जाता है कि जब हनुमान जी ने रावण की लंका जला दी थी तो वहां की मिट्टी काली हो गई थी.
रावण के वध के बाद विभीषण लंका के राजा बने थे और उन्होंने कैलानी नदी के किनारे अपना महल बनवाया था. पुरातत्व विभाग को इस महल के अवशेष भी मिल चुके हैं.