Oct 22, 2023, 12:54 AM IST

'शराबी' है यहां रावण का पुतला, मंदोदरी से है खास कनेक्शन

Kuldeep Panwar

दशहरा पर्व आने वाला है, जिस दिन रावण के पुतले का दहन कर 'बुराई पर अच्छाई' की जीत का जश्न मनाया जाएगा. इसे लेकर हर तरफ तैयारियां हो रही हैं.

रावण दहन का उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से खास कनेक्शन है. दरअसल मेरठ को रावण की ससुराल माना जाता है यानी उसकी पत्नी मंदोदरी का यह मायका है.

मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र है. माना जाता है कि इसे मंदोदरी के पिता मय ने बसाया था. इस लिहाज से मेरठ में रावण को लेकर कई तरह की अनूठी मान्यताएं हैं.

एक ऐसी ही मान्यता मेरठ के कैंट एरिया में होने वाले रावण दहन की भी है. यहां दशहरे के मौके पर रावण का पुतला खड़ा करने से पहले नींव में शराब का भोग लगाना पड़ता है.

आप भले हैरान हों, लेकिन यह बात सच है. मेरठ छावनी रामलीला कमेटी के मुताबिक, यदि यहां रावण का पुतला लगाने से पहले नींव के गड्ढे में दो बूंद शराब ना डालें तो पुतला खड़ा होने के बजाय बार-बार गिर जाता है या तिरछा झुक जाता है.

कमेटी के मुताबिक, मान्यता है कि जिस मैदान में रावण दहन होता है, वहां कभी तालाब होता था. इसे मंदोदरी तालाब कहते थे, क्योंकि मंदोदरी यहीं पर स्नान कर करीब ही मौजूद बिल्वेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करती थी.

माना जाता है कि इसी कारण यहां रावण का पुतला लगाने से पहले आसुरी भोग देना पड़ता है. यह भोग शराब की बूंदों के छींटे से लगाया जाता है. इसके बाद ही पुतला सीधा खड़ा होता है.

बिल्वेश्वर महादेव मंदिर का पुजारी परिवार भी कभी रावण दहन नहीं देखता है. उनका कहना है कि मेरठ मंदोदरी का मायका और रावण यहां का दामाद था. ऐसे में दामाद के दहन का जश्न कैसे मना सकते हैं?

मेरठ के गगोल गांव में भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है. दरअसल यहां दशहरे के दिन 1857 की क्रांति में ब्रिटिश सेना ने नरसंहार किया था. इस कारण दशहरा पर्व नहीं मनाया जाता है.