Dec 7, 2023, 03:17 PM IST

जब जनरल ने आधा पाकिस्तान देकर चुकाया था सैम बहादुर का उधार

Kuldeep Panwar

पाकिस्तान को 1971 के युद्ध में हराने वाले भारतीय सेना के इकलौते फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का नाम बॉलीवुड फिल्म सैम बहादुर के कारण फिर से चर्चा में चल रहा है. 

सैम बहादुर नाम से मशहूर फील्ड मार्शल मानेकशॉ भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 के समय भारतीय सेना प्रमुख थे. इस युद्ध में पाकिस्तान का एक हिस्सा अलग होकर बांग्लादेश बन गया था.

ढाका में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के गठन के लिए फील्ड मार्शल मानेकशॉ की रणनीति ही जिम्मेदार मानी जाती है.

पाकिस्तान के दो टुकड़े करने वाले इस युद्ध का एक किस्सा बहुत मशहूर है. दरअसल जीत के बाद फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने कहा था कि याहया खान ने आधा देश देकर बाइक का उधार चुकाया है.

भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 के समय पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष रहे याहया खान आजादी के समय ब्रिटिश सेना में फील्ड मार्शल मानेकशॉ के साथ दिल्ली में सेना मुख्यालय में तैनात थे.

दिल्ली मुख्यालय की तैनाती के दौरान याहया खान और मानेकशॉ में अच्छी दोस्ती बन गई थी. मानेकशॉ की लाल रंग की बाइक याहया खान को बेहद पसंद थी.

जनरल याहया खान पाकिस्तान बनने पर दिल्ली से लाहौर आ गए. आने से पहले उन्होंने मानेकशॉ से उनकी बाइक 1,000 रुपये में खरीद ली और उसे पाकिस्तान ले आए.

जनरल एसके सिन्हा ने अपनी आत्मकथा 'A Soldier Remembers' में याहया खान और सैम मानेकशॉ के बीच हुई मोटरसाइकिल की इस खरीद-बेच का जिक्र किया है.

याहया खान ने पाकिस्तान जाने से पहले मोटरसाइकिल तो मानेकशॉ से ले ली, लेकिन उसके पैसे लाहौर पहुंचने के बाद भिजवाने का वादा किया और चले गए.

इस मोटरसाइकिल की कीमत याहया खान ने कभी पाकिस्तान से मानेकशॉ को नहीं भिजवाई. इसे लेकर ही 1971 में पाकिस्तान की हार के बाद मानेकशॉ ने मजाक किया था.

जनरल सिन्हा के मुताबिक, मानेकशॉ ने हंसते हुए कहा, मैं 24 साल से याहया खान के चेक का इंतजार कर रहा हूं, लेकिन वह चेक कभी भारत नहीं आया.

जनरल सिन्हा ने आगे लिखा है कि मानेकशॉ बोले, आखिरकार याहया खान ने 1947 में लिया गया उधार अपना आधा देश दे कर आज चुका दिया है.

फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ जन्म से पारसी थे, लेकिन उनका जन्म अमृतसर में होने के कारण सिख उन्हें अपना मानते थे. रिटायरमेंट के बाद वे नीलगिरी की पहाड़ियों में बस गए, इसलिए तमिल उन्हें अपना आदमी कहते थे.