Jan 6, 2024, 03:15 PM IST

कहां हुआ था सीता जी को श्रीराम से प्यार

Kuldeep Panwar

अयोध्या के राम मंदिर में 500 साल बाद फिर से रामलला विराजमान होने जा रहे हैं. 22 जनवरी को होने वाले इस समारोह की तैयारियां चल रही हैं, पर मंदिर में सीता माता राम के साथ नहीं होंगी.

अयोध्या के राम मंदिर में श्रीराम के बाल स्वरूप के दर्शन होंगे, इस कारण सीता माता को उनके साथ स्थापित नहीं किया जा रहा है. क्या आप जानते हैं माता सीता को प्रभु राम कैसे मिले थे?

वाल्मिकी रामायण के मुताबिक, माता सीता के स्वयंवर में प्रभु श्रीराम ने शिवजी का धनुष तोड़कर उनका वर बनने का श्रेय पाया था. लेकिन इसमें माता सीता की तपस्या का भी योगदान था.

दरअसल प्रभु श्रीराम और माता सीता का पहला मिलन स्वयंवर में नहीं बल्कि पुष्पवाटिका में हुआ था, जो आज भी बिहार के मधुबनी जिले के हरलाखी ब्लॉक के फुलहर गांव में मौजूद है.

फुलहर गांव में राजा जनक की कुलदेवी माता गिरिजा का मंदिर है, जिसमें पूजा-अर्चना करने सीता आती थीं और पुष्पवाटिका से ही फूल ले जाकर माता पर अर्पण करती थीं.  

मान्यता है कि सीता स्वयंवर के लिए जनकपुर जाते समय गुरु विश्वामित्र के साथ श्रीराम और लक्ष्मण भी फुलहर पहुंचकर इसी वाटिका में ठहरे थे.

सीता इसी दौरान वाटिका में पूजा के फूल चुनने आई थीं और उनकी मुलाकात प्रभु राम से हुई थी. सीता जी को राम जी भा गए थे और माता सीता ने गिरिजा देवी मंदिर में जाकर उनसे विवाह का वर मांगा था.

फुलहर गांव के गिरिजा स्थान में यह मंदिर और तराग तालाब के किनारे पुष्पवाटिका आज भी है. इस पुष्पवाटिका में तीन तीर जैसी आकृतियां भी हैं, जिन्हें स्थानीय लोग प्रभु राम के तीर मानते हैं.

अब उजाड़ हो चुकी वाटिका में पद्चिह्न भी बने हुए हैं, जिन्हें भगवान राम का पद मानकर पूजा की जाती है. वाटिका में बनी ठाकुरजी की कुटिया में श्रीराम ठहरे थे, उसमें आज भी भगवान विष्णु का वास माना जाता है.

नेपाल के जानकी मंदिर जनकपुर के महंत रामरोशन दास वैष्णव के मुताबिक, रामचरितमानस में भी लिखा है - देखन बागु कुंवर दुइ आए, बय किशोर सब भांति सुहाए, श्याम गौर कीमि कहीं बखानी, गिरा अनयन नयन बिनु बानी...बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत, परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत।