सिर्फ 'इंडिया गेट' ही नहीं दिल्ली में हैं ये 6 द्वार, एक कहलाता है खूनी दरवाजा
Jaya Pandey
दिल्ली का अपना अलग इतिहास और किस्सा है. इंडिया गेट की तरह ही मुगल और ब्रिटिश काल में दिल्ली में 14 और प्रवेशद्वार थे जिनमें से अधिकतर आज विलुप्त हो चुके हैं. सिर्फ़ 6 ही ऐसे गेट हैं जो अभी भी खड़े हैं और अपने आप में मील का पत्थर हैं.
कश्मीरी गेट - कश्मीरी गेट का निर्माण 1835 में ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था. 1857 के विद्रोह के दौरान कश्मीरी गेट अहम युद्धस्थल था जहां स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों ने ब्रिटिश सेना से लोहा लिया था.
दिल्ली गेट - इसका निर्माण वर्ष 1638 में हुआ था जो अब दरियागंज के पास स्थित है. बादशाह शाहजहां अपनी नमाज़ के लिए जामा मस्जिद जाते समय इस गेट का इस्तेमाल करते थे.
लाहौरी गेट - लाल किले या लाल किला के मुख्य प्रवेश द्वारों में से एक होने के कारण इसे लाहौरी दरवाज़ा के नाम से भी जाना जाता है. यह दरवाज़ा लाहौर शहर की ओर खुलता है, जो अब पाकिस्तान में है.
अजमेरी गेट - इस गेट का निर्माण वर्ष 1644 में हुआ था जो अब सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि यह राजस्थान के शहरों में से एक अजमेर की ओर इशारा करता है.
तुर्कमान गेट - साल 1650 में निर्मित यह गेट अब लोकप्रिय राम लीला मैदान के पास स्थित है. यह दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाकों से घिरा हुआ है.
खूनी दरवाजा- इसे लाल दरवाजा भी कहते हैं. इसका निर्माण शेरशाह सूरी के शासनकाल में हुआ था. मुग़ल शहजादों की हत्या की वजह से इसे खूनी दरवाजा कहा जाने लगा.