DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में काम करता है. वर्तमान में डॉ. समीर वी कामत इस ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन हैं.
DRDO की स्थापना साल 1958 में डिफेंस साइंस ऑर्गनाइजेशन के साथ इंडियन आर्मी की कंबाइंड टेक्निकल डेवलेपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (TDEs) और डायरेक्ट्रेट ऑफ टेक्निकल डेवलेपमेंट एंड प्रोडक्शन (DTDP) को मिलाकर किया गया था.
DRDO का फुल फॉर्म डिफेंस रिसर्च एंड डेलवेपमेंट ऑर्गनाइजेशन है. 10 लैब्स के साथ शुरू हुआ डीआरडीओ अब 52 लैबोरेट्री के नेटवर्क तक विकसित हो चुका है.
डीआरडीओ का काम हमारी रक्षा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक सेंसर, हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और संबद्ध उपकरणों का डिजाइन, विकास और उत्पादन करना है.
डीआरडीओ भारत का सबसे बड़ा और विविध अनुसंधान संगठन है. यहां लगभग 5,000 साइंटिस्ट, 25,000 सबऑर्डिनेट साइंटिस्ट, टेक्निकल एंड सपोर्टिंग स्टाफ काम करता है.
डीआरडीओ का दृढ़ संकल्प है कि देश को साइंस एंड टेक्नोलॉजी खासकर डिफेंस टेक्नोलॉजी के मामले में मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जाए.
DRDO ने साल 1960 में अपने पहले प्रोजेक्ट के रूप में इंडिगो(सरफेस दू एयर मिसाइल) की शुरुआत की थी. इसका हेडक्वॉरटर दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के पास DRDO भवन है.