May 4, 2025, 01:36 PM IST
अक्सर कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि वह किसी घटना को दिमाग में बिठा लेते हैं और सच मान लेते हैं, पर वास्तव में ऐसी कोई घटना होती ही नहीं.
वहीं कई बार कुछ घटना को देखकर व्यक्ति को लगता है कि यह उनके साथ पहले भी हो चुका है, पर ऐसा होता नहीं है. यह हमारे दिमाग में चलता रहता है.
बता दें कि इस तरह की झूठी स्मृति को अंग्रेजी भाषा में फॉल्स मेमोरी (False Memory) कहा जाता है, यह मेमोरी किसी भी घटना का मनगढ़ंत रूप हो सकती है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक झूठी स्मृति या False Memory एक ऐसी याद होती है, जो पूरी तरह गलत हो सकती है या असली घटना से काफी अलग होती है.
ऐसी स्थिति में कई बार ऐसा कुछ याद होता है, जो हुआ ही नहीं था. पर दिमाग को लगता है कि ऐसा हुआ था. मनोविज्ञान में मेमोरी डिस्टॉरशन कहते हैं.
कई बार इस स्थिति में दिमाग सच्चाई और कल्पना को इतना मिलाकर पेश करता है कि हम खुद ही कंफ्यूज हो जाते हैं, यह एक आम मानवीय अनुभव है.
हालांकि अगर आप ऐसा बार-बार महसूस कर रहे हैं खासतौर से भावनात्मक या कानूनी मामलों में तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह जरूर लें.
(Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है. इस पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें.)