Jan 17, 2025, 05:26 PM IST
एक स्टडी के मुताबिक व्यक्ति के शरीर से आने वाली महक हमेशा एक जैसी नहीं होती, बल्कि यह पूरी जिंदगी के अलग-अलग दौर में बदलती रहती है.
बचपन में बदन की गंध आमतौर पर पसीने की ग्रंथि के कम सक्रिय होने और चमड़े की माइक्रोबायोम की वजह से हल्की महसूस होती है.
वहीं जवानी की शुरुआत में इंसान के जिस्म की महक में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं, आमतौर पर ऐसा बदलाव सेक्स हार्मोन के बनने की वजह से होता है.
जो पसीना लाने वाले एक्राइन ग्लैंड और स्किन की महत्वपूर्ण ग्रंथि सेबेसियस को सक्रिय करते हैं, ऐसी स्थिति में व्यक्ति के शरीर से महक निकलती है.
वहीं जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, स्किन ढ़ीली होने लगती है, जो पसीने व सेबेसियस ग्लैंड की सक्रियता कम कर देती है, इससे बदन की गंध में बदलाव आता है.
इसी तरह 40 की उम्र के बाद चमड़े में कुछ फैटी एसिड जैसे ओमेगा 7 और पलमाइटोलिक एसिड के काम की प्रक्रिया बदल जाती है...
जो शरीर की गंध को बदलने का काम करता है. ऐसे में हर उम्र में इन क्रियाओं की वजह से शरीर की गंध बदलती रहती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)