Sep 14, 2023, 11:09 PM IST

इन 8 बेगम के इशारे पर नाचते थे मुगल बादशाह

Kuldeep Panwar

मरियम-उज-जमानी बादशाह अकबर की बेगम और बादशाह जहांगीर की मां थीं. मुगलों के दूसरे राजाओं से समझौतों में मरियम की अहम भूमिका रहती थी. माना जाता है कि वे ही शर्तें तय करती थीं, जिन्हें अकबर और जहांगीर दोनों माना करते थे.

गुलबदन बेगम पहले मुगल बादशाह बाबर की बेटी और दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं की सौतेली बहन थीं. गुलबदन ने ही 'हुमायूंनामा' लिखा था, जो बादशाह हुमायूं की बायोग्राफी है और उस वक्त के हालात की सबसे पुख्ता सबूत मानी जाती है. कहा जाता है कि हुमायूं अपनी बहन से सलाह भी लिया करते थे.

नूरजहां को मुगल बेगमों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है, जो बादशाह जहांगीर के साथ दरबार में भी जाती थीं और राजकाज के मामलों में सबके सामने सलाह देती थी. जहांगीर ने उन्हें कई तरह की पॉवर दे रखी थी, जिससे मुगल सेना के सरदार भी उनसे डरते थे.

मुमताज महल बादशाह शाहजहां की बेगम थीं, जिनकी याद में पूरी दुनिया में मशहूर आगरा का ताजमहल बनाया गया है. मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था. उनका बादशाह शाहजहां के फैसलों पर बहुत ज्यादा प्रभाव माना जाता है. 

रोशनआरा बेगम मुगल बादशाह शाहजहां की छोटी बेटी थी, जिसकी औरंगजेब को बादशाह बनवाने में अहम भूमिका थी. औरंगजेब ने रोशनआरा को फरमान और निशान जारी करने का भी अधिकार दे रखा था. वह राजनीतिक मामलों में खुलेआम आदेश जारी करती थीं, जिन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता था.

जहांआरा बेगम मुगल बादशाह शाहजहां की बड़ी बेटी थी, जो अपनी मां मुमताज महल की मौत के बाद पादशाह बेगम (बेगमों की मुखिया) बनाई गई थी. जहांआरा अपने समय में दुनिया की सबसे अमीर महिला कहलाती थी, जिसकी बात टालने की हैसियत राजाओं के पास भी नहीं थी.

हामिदा बानो बेगम मुगल बादशाह अकबर की मां और हुमायूं की पत्नी थीं. हामिदा बानो की बात टालने की हैसियत किसी में नहीं होती थीं. हालांकि वे राजनीतिक मामलों से दूर ही रहना पसंद करती थीं.

रूकैया बेगम बादशाह अकबर की सबसे पहली बेगम थीं. 58 साल तक हिंदुस्तान की मल्लिका रहीं रूकैया अकबर के चाचा हिंदाल मिर्जा की बेटी थीं. उन्हें अकबर के शासन की पॉवरफुल महिलाओं में गिना जाता है.