Jun 18, 2024, 10:32 AM IST

365 रानियों में किसके साथ बीतेगी रात, लालटेन से चुनता था ये राजा

Kuldeep Panwar

आपने शराब के 'पटियाला पैग' का जिक्र जरूर पार्टियों में सुना होगा. यह शब्द पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की देन था, जो बेहद रंगीन मिजाज माने जाते थे.

भूपिंदर सिंह अपनी रंगीन मिजाजी के कारण दुनिया को पटियाला पैग जैसा शब्द ही नहीं दे गए, बल्कि बहुत सारे किस्से-कहानियां भी छोड़ गए हैं.

भूपिंदर सिंह किस कदर रंगीन मिजाज थे, ये जानने के लिए आपको उनके दीवान जरमन दास की लिखी किताब 'महाराजा' जरूर पढ़नी चाहिए.

इसमें कहा गया है कि भूपिंदर सिंह को रास्ते में जो महिला-युवती पसंद आ जाती थी, वे तत्काल उसके घर पहुंचकर उससे विवाह कर लेते थे.

इस आदत के चलते महाराजा भूपिंदर सिंह की 10 पटरानियों समेत 365 निजी देवदासियां थीं, जिन्हें पटियाला में अलग-अलग महल मिले हुए थे.

महाराजा किस रानी या देवदासी के साथ रात बिताएंगे यानी उस रात कौन उनकी पटरानी बनेगी, यह तय करने का भी एक अनूठा सिस्टम था.

महाराजा ने हर रानी के नाम की लालेटन बनवा रखी थी. सभी लालटेन को हर रात बराबर तेल भरकर पूरी रात के लिए जलाया जाता था.

महाराजा रोजाना सुबह देखते थे कि कौन सी लालटेन सबसे पहले बुझी है, उस लालटेन पर लिखे नाम वाली रानी ही उस रात पटरानी बनती थी.

महाराजा भूपिंदर सिंह की इस रंगीन मिजाजी के कारण 88 संतान पैदा हुई थीं. हालांकि उनमें से महज 53 ही जिंदा बच पाई थीं.

दीवान जरमन दास ने अपनी किताब में महाराजा की रंगीन मिजाजी के और भी किस्से बताए हैं, जिनमें से एक पटियाला के 'लीला भवन' का भी है.

लीला भवन असल में रंगरेलियों का महल था, जिसके अंदर आने के लिए किसी भी पुरुष या महिला को अपने पूरे वस्त्र उतारकर नग्न होना पड़ता था.

लीला भवन पटियाला शहर में भूपिंदरनगर जाने वाली सड़क पर बारहदरी बाग के करीब आज भी बना हुआ देखा जा सकता है.

12 अक्टूबर, 1891 को जन्मे भूपिंदर सिंह 8 नवंबर, 1900 को महज 9 साल की उम्र में राजा बन गए थे, हालांकि उन्होंने राजगद्दी 18 साल का होने पर संभाली थी और 38 साल राज किया था.

भूपिंदर सिंह ने ही भारत में क्रिकेट के पौधे को सींचकर वृक्ष बनाया था. उनकी कप्तानी में ही वर्ष 1911 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार इंग्लैंड का अनॉफिशियल टूर किया था.

आज हम घरेलू क्रिकेट की जिस शानदार रणजी ट्रॉफी को देखते हैं, वो भी महाराजा भूपिंदर सिंह ने ही महान क्रिकेटर केएस रंजीत सिंह जी को ट्रिब्यूट देने के लिए BCCI को गिफ्ट की थी.

टीम इंडिया का शुरुआती दौर में ज्यादातर खर्च उठाने वाले भूपिंदर सिंह के प्रयास से ही मुंबई में ब्रेबोर्न स्टेडियम बना था, जहां पहला टेस्ट मैच खेला गया था.

भूपिंदर सिंह दुनिया के आज तक के सबसे अमीर क्रिकेटर भी थे, जिनके नाम पर 22,000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जिनमें 44 रॉल्स रॉयस कार और 300 करोड़ रुपये का एक हार भी शामिल था.