Jan 10, 2025, 08:34 PM IST

तिब्बत कब था भारत का हिस्सा

Kuldeep Panwar

यदि कोई कहे कि भारतीय सीमा चीन से सटी है तो यह गलत है. भारत की सीमा तिब्बत से लगी हुई है, जिस पर चीन का अवैध कब्जा है.

चीन का दावा है कि 800 साल से तिब्बत उसका हिस्सा है, लेकिन वास्तव में तिब्बत प्राचीन भारत का हिस्सा और भारतीय संस्कृति का केंद्र था.

तिब्बत के प्राचीन भारत का हिस्सा होने का सबूत यह है कि भारतीय संस्कृति के सबसे अहम तीर्थ कैलाश पर्वत और मानसरोवर वहीं पर हैं.

तिब्बत में ही नाथों की परंपरा के 84 सिद्ध 'सरहपा' से 'नरोपा' तक हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी नाथ संप्रदाय के साधु हैं.

तिब्बत का जिक्र भारतीय वेद-पुराणों में भी है. उसे त्रिविष्टप कहते थे. महाभारत के महाप्रस्थानिक पर्व में भी इसका जिक्र किया गया है.

महाप्रस्थानिक पर्व में पांडवों के स्वर्गारोहण में तिब्बत को देवराज इंद्र के देश नंदनकानन कहा गया है यानी इंद्र स्वर्ग नहीं धरती पर ही रहते थे.

पौराणिक ग्रंथों अनुसार, यहीं पर वैवस्वत मनु (प्रथम मानव) की नाव जल प्रलय खत्म होने पर गौरी-शंकर (माउंट एवरेस्ट) से नीचे उतरी थी.

वैज्ञानिक शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि माउंट एवरेस्ट समेत पूरा हिमालय समुद्र यानी पानी के अंदर थे और वहीं से धरती पर बाहर निकले हैं.

यह माना जाता है कि यहीं से मनु की संतानें आर्य-अनार्य में बंटकर पूरी धरती पर फैल गई थी यानी यहीं से मानव सभ्यता की शुरुआत हुई थी.

महाकवि कालिदास ने भी अपने 'मेघदूतम्' में कैलाश और मानसरोवर के निकट बसी कुबेर की नगरी 'अलकापुरी' का जिक्र किया है.

चीन-तिब्बत से नाता 1207 ईसवी में मंगोल शासक कुबलई खान के कारण जुड़ा था, जिसने चीन के बाद तिब्बत, वियतनाम व कोरिया भी कब्जाया था.

चीन के मांछु शासकों ने 1720 में तिब्बत को मंगोलों से आजाद करा दिया. साल 1906-07 मे मांछु शासकों ने फिर से तिब्बत कब्जा लिया था.

साल 1912 में मांछु शासन का चीन में अंत हुआ, जिसके साथ ही 13वें दलाई लामा ने तिब्बत को पूरी तरह स्वतंत्र देश घोषित किया था.

ब्रिटिश भारत ने साल 1914 में चीन और तिब्बत के साथ शिमला समझौता किया, जिसमें मैकमोहन रेखा को इंटरनेशनल बॉर्डर माना गया.

चीन ने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था, जिसे 1954 में चीन से दोस्ती के नाम पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मान्यता दे दी थी.

नेहरू के चीन पर तिब्बत के कब्जे को मान्यता देने के साथ ही इस देश के साथ भारत का किसी भी तरह का नाता खत्म हो गया था.