Dec 28, 2024, 07:34 AM IST

भारत के इस शहर को जादू-टोने का शहर क्यों मानते थे अंग्रेज?

Smita Mugdha

काशी या बनारस आज भी भारत में तीर्थयात्रियों के लिए अहम शहर है. यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. 

बनारस को देश के सबसे पुराने शहरों में शुमार किया जाता है. सभ्यता और धार्मिक महत्व के साथ यह शिक्षा का केंद्र भी है. 

काशी का धार्मिक महत्व है और इसके आधुनिक स्वरूप बनारस भी आज शिक्षा और कारोबार की बड़ी ईकाई है. 

बनारस के बारे में अंग्रेजों के विचार काफी मिले-जुले थे, लेकिन वह इस शहर को अपने लिए अहम मानते थे. 

बनारस में पहले से ही साड़ी उद्योग और दूसरे कारोबार थे और अंग्रेज अधिकारी इसे अपनी आधुनिक यूनिट के तौर पर विकसित करना चाहते थे. 

बनारस के आसपास की जमीन गंगा के पानी की वजह से उपजाऊ थी और अंग्रेजों को यह भी कर वसूलने के लिहाज से अपने अनुकूल लगता था. 

बनारस के घाट, वहां होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, तवायफों के कोठे ऐसी जगहें थीं जिन्हें अंग्रेज अचरज की नजर से देखते थे. 

ईस्ट इंडिया कंपनी के टकसाल के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने अपनी किताब में बनारस शहर के बारे में काफी लिखा है. 

जेम्स प्रिंसेप के मुताबिक, ज्यादातर अंग्रेज अधिकारी शहर की खूबसूरती और लोगों के उत्साही स्वभाव को जादुई मानते थे.