Jul 8, 2024, 08:14 PM IST

जानें क्यों तवायफों के आंगन की एक मु्ट्ठी मिट्टी होती थी अनमोल

Smita Mugdha

तवायफों के कोठे पर अदब, शायरी और कला का संरक्षण होता था, यह बात सभी जानते हैं. 

तवायफों के कोठे का एक सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी था और उनकी सामाजिक कार्यक्रम में भागीदारी होती थी.

यह जानकर हैरानी होगी कि तवायफों के कोठे की मिट्टी बेहद खास होती थी जिस पर लाखों रुपये दिए जाते थे.  

दरअसल तवायफों के आंगन की मिट्टी लेकर ही दुर्गा पूजा के लिए पंडालों और घरों में बनने वाली दुर्गा मां की प्रतिमा बनाई जाती थी. 

दुर्गा पूजा से पहले प्रतिमा निर्माण का काम शुरू करने से पहले तवायफ के आंगन से एक मुट्ठी मिट्टी ली जाती थी. 

इस मिट्टी को लेने के बदले शहर के अमीर लोग, जमींदार और दूसरे प्रतिष्ठित संस्थाएं तवायफों को बदले में उपहार देते थे.

इन उपहार में सोने की मुहरें, सोने की गिन्नियां से लेकर नकद और जेवर भी शामिल होते थे.

इस परंपरा का पालन खास तौर पर बिहार, बंगाल, ओडिशा जैसे राज्यों में होता था.

दुर्गा पूजा के पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का भी चलन था जिसमे शहर की मशहूर तवायफें अपनी कला का जौहर दिखाती थीं.