Jan 25, 2024, 08:50 PM IST

सूरज की चौकीदारी कर रहे Aditya L-1 ने कर दिया एक और कमाल

Kuldeep Panwar

पौरोणिक कहानियों के सूर्यदेव पर चलने वाली हलचल की निगरानी कर रहे भारतीय सोलर मिशन आदित्य L-1 ने एक और कमाल कर दिया है. 

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने हेलो आर्बिट में धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंज पॉइंट-1 पर पार्किंग करके बैठे आदित्य L-1 पर मैग्नोमीटर बूम तैनात कर दिया है.

आदित्य L-1 के मिशन में 6 मीटर लंबा मैग्नोमीटर बूम तैनात करना सबसे अहम हिस्सा था, क्योंकि इससे ही सूरज के कोरोना, अंतरग्रहीय चुबंकीय क्षेत्र, क्रोमोस्फेयर की सटीक जानकारी मिलेगी.

मैग्नोमीटर बूम दरअसल एक एडवांस सेंसर है. इस बूम में दो एडवांस फ्लक्सगेट मैग्नेटोमीटर सेंसर लगे हैं, जो अंतरिक्ष में हल्के चुंबकीय क्षेत्र को भी नाप सकते हैं.

डबल सेंसर के कारण यह मैग्नेटोमीटर चुबंकीय क्षेत्र की हल्की सी भी लहर का ज्यादा सटीक अनुमान लगा सकेगा और आदित्य L-1 के खुद के चुबंकीय प्रभाव को खत्म कर देता है.

स्पेसक्राफ्ट का अपना चुबंकीय प्रभाव खत्म हो जाने के कारण सूरज की निगरानी कर रहे सेंसरों में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती और वे सटीक रिजल्ट देते हैं.

मैग्नेटोमीटर बूम के सेंसरों को स्पेसक्राफ्ट के मुख्य हिस्से से 3 और 6 मीटर की दूरी पर तैनात किया गया है ताकि इससे पूरे स्पेसक्राफ्ट का चुंबकीय क्षेत्र कवर हो सके.

कार्बन फाइबर-रीन्फोर्स्ड पॉलीमर के मैग्नेटोमीटर बूम में स्प्रिंग से चलने वाले हिंज मैकेनिज्म के पांच सेग्मेंट्स के साथ जुड़े हुए सिस्टम की सुविधा है. 

आदित्य L-1 के लॉन्च फेज के दौरान बूम को दो होल्ड-डाउन के जरिए सुरक्षित रखा गया. इसमें लॉन्च लोड को स्पेसक्राफ्ट के अंदर ट्रांसफर कर दिया गया था. 

अब इसरो ने धरती से कमांड देकर थर्मल कटर-बेस्ड रिलीज सिस्टम को एक्टिव किया, जिससे मैग्नेटोमीटर बूम रिलीज होकर अपने मिशन के लिए तैनात हो गया है.

अब मैग्नेटोमीटर बूम इसरो को अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र का सटीक माप देगा, जिससे अंतरिक्ष के मौसम पर सूरज के अंदर हो रही हलचल के प्रभाव की सही जानकारी मिलेगी.