Dec 23, 2023, 01:20 PM IST
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में पहाड़ी पर बने चितौड़गढ़ किले को भारतीय इतिहास में दिल्ली के लाल किले के बा सबसे ज्यादा चर्चित किला माना जाता है. यह किला महाराणा प्रताप के जन्म के समय उनके पिता राणा उदय सिंह द्वितीय ने जीता था.
कहते हैं कि इस किले के अंदर महाराणा प्रताप की सेना को हराना असंभव था. इस कारण मुगल बादशाह अकबर ने हल्दी घाटी के युद्ध के बाद उनके इस किले को छोड़कर जंगलों में जाने पर जश्न मनाया था.
अकबर के बाद मुगल बादशाह जहांगीर भी चित्तौड़गढ़ के किले से खौफ खाता था. यही कारण है कि उसने 1615 में महाराणा प्रताप के बेटे महाराणा अमर सिंह से संधि में ये किला उन्हें एक शर्त पर लौटाया था कि इसकी कभी युद्ध रक्षा के लिहाज से मरम्मत नहीं की जाएगी.
इस किले में हिंदू देवताओं के नाम वाले सात दरवाजे हैं, जिन तक पहुंचने के लिए घुमावदार पहाड़ी रास्तों से गुजरना पड़ता है. इन दरवाजों के नाम हैं पैदल पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और अंत में राम पोल.
इस किले की खासियत इसके अंदर बने अनूठे और मजबूत दुर्ग, महल, प्रवेश द्वार, बुर्ज, मंदिर और बेहद बड़ी झील है, जो राजपूत आर्किटेक्चर के बेहतरीन नमूने माने जाते हैं.
एक मिथ के मुताबिक, जमीन से 180 मीटर ऊंचाई पर बने इस किले का निर्माण पांडव राजकुमार भीम ने किया था. हालांकि इतिहासकारों के मुताबिक, यह किला सातवीं सदी में मौर्य वंश के राजा चित्रांग ने चित्रकोट नाम से बनवाया था. बाद में मेवाड़ के बप्पा रावल ने इसे जीतकर इसका नाम चित्तौड़गढ़ कर दिया था.