यह तो हम सब जानते हैं कि प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं और वह धरती पर पापों को खत्म करने के लिए आए थे.
इस प्रचलित मान्यता के साथ ही यह भी पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम को कदम कदम पर संबल देने के लिए देवी लक्ष्मी ने माता सीता के रूप में जन्म लिया था.
इस प्रचलित मान्यता के साथ ही एक मान्यता यह भी कि जिसमें माना गया है कि सीता भी विष्णु का ही अवतार थीं.
पौराणिक कथाओं के मशहूर लेखक अमीश त्रिपाठी ने भी अपनी किताब में सीता को विष्णु का अवतार बताया है.
इस मान्यता के मुताबिक मिथिला की राजकुमारी सीता न सिर्फ विष्णु अवतार थीं बल्कि वह युद्ध कला में निपुण योद्धा और शास्त्र पारंगत भी थीं.
मान्यता यह भी है कि रावण भी यह जानता था कि सीता साक्षात विष्णु हैं लेकिन फिर भी उसने पूर्व निर्धारित संयोगों के अनुसार सीता हरण किया था.
विष्णु अवतार सीता माता का उद्देश्य अयोध्या को उसका खोया गौरव और समृद्धि लौटाना था.
रामायण में राम और सीता को लेकर कई कथाएं और लोकमान्यताएं प्रचलति हैं और रामायण के भी कई वर्जन हैं.
ऐसी मान्यता है कि राजा जनक ने सीता ही नहीं बल्कि अपनी सभी पुत्रियों को शास्त्रों और युद्ध कौशल की शिक्षा दी थी.