Mar 26, 2025, 01:17 AM IST

मुगलों की ये 'इंजीनियरिंग' आज भी कर देती है हैरान

Kuldeep Panwar

भारत में मुगलों ने करीब तीन सदी तक राज किया था. इस दौरान मुगल बादशाहों ने दिल्ली से लाहौर और आगरा तक तमाम इमारतें बनवाई थीं.

मुगलों के बनाए ताजमहल को जहां वैश्विक अजूबों में शामिल किया जाता है, वहीं दिल्ली और आगरा का लाल किला आदि भी गजब कहे जाते हैं.

मुगलों की बनाई इमारतों को इंजीनियरिंग का श्रेष्ठ नमूना माना जाता है, जिनमें मुगल बादशाहों को दफनाने के लिए बनाए मकबरे तक शामिल हैं.

आज हम आपको इन इमारतों से भी ज्यादा बेहतरीन इंजीनियरिंग वाले उस मुगल कारनामे के बारे में बता रहे हैं, जिसकी तारीफ आज भी होती है.

हम बात कर रहे हैं मुगलों के बनाए ड्रैनेज सिस्टम की, जिसके चलते उस जमाने में कभी दिल्ली पानी में डूबकर बाढ़ का शिकार नहीं हुई.

मुगलों के महलों से किलों तक में पानी के निकास के लिए बने ड्रेनेज सिस्टम का लोहा अंग्रेजों ने भी माना था, जिसकी इंजीनियरिंग कमाल की थी.

दिल्ली के लालकिले का ड्रेनेज सिस्टम मुगल इंजीनियरिंग का नमूना है. लाखोरी ईंटों से बने इस ड्रेनेज सिस्टम का पता साल 2020 में चला था.

लाल किले में बारिश का पानी बाहर निकालने को मुगल इंजीनियरों ने महल और शाहजहांनाबाद (दिल्ली) में नालों का नेटवर्क बिछाया था.

लालकिले में उस जमाने में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम था, जिसके लिए सभी जगह बिछी नालियों से पानी महल के अंदर एक खाई में पहुंचता था.

आगरा के ताजमहल में भी बेहतरीन ड्रेनेज सिस्टम है, जिसके लिए पक्की नालियों का नेटवर्क है. कुछ नालियां संगमरमर के नीचे अंडरग्राउंड भी हैं. 

ताजमहल का पानी उसके कैंपस में बने सेंट्रल नाले में इन नालियों से पहुंचता था, जिसे स्टोर करके फिर से इस्तेमाल कर लिया जाता था.

मुगलों से बुरहानपुर का भी इतिहास जुड़ा हुआ है. वहां बनाई मुगल इमारतों में भी इस तरह का ही बेहतरीन ड्रेनेज सिस्टम दिखाई देता है.

मुगलों का ड्रेनेज सिस्टम आधुनिक सीवर सिस्टम जैसा ही था. छोटी नालियों से पानी बड़े नाले में और फिर नाला बाहर तालाब में चला जाता था.

तालाब में जमा पानी को रियूज किया जाता था. कई महलों में बारिश का पानी जमा करने के लिए लाखौरी ईंटों से अंडर ग्राउंड कुएं बनाए जाते थे.