Mar 25, 2025, 12:08 AM IST

कौन था मुगलों को पीटकर दिल्ली छीनने वाला आखिरी हिंदू राजा

Kuldeep Panwar

सदियों से दिल्ली ही भारतीय सत्ता का केंद्र रही है, जहां 11वीं सदी तक हिंदू साम्राज्य कायम था. इसके बाद यहां मुस्लिम सल्तनत कायम हुई थी.

दिल्ली का आखिरी हिंदू राजा पृथ्वीराज चौहान को माना जाता है, जो 1178 में राजा बने और 1192 ईसवी में मोहम्मद गौरी से दिल्ली हार गए थे.

माना जाता है कि मोहम्मद गौरी के दिल्ली जीतकर अपने गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक को सुल्तान बनाने के साथ ही यहां हिंदू राज खत्म हो गया था.

क्या आप भी पृथ्वीराज चौहान को ही दिल्ली का आखिरी हिंदू राजा मानते हैं? यह सच नहीं है. एक और हिंदू बाद में दिल्ली का राजा बना था.

हम बात कर रहे हैं 'भारत का नेपोलियन' कहलाने वाले हेमू विक्रमादित्य की. कहते हैं उन्होंने 22 लड़ाइयां जीती थीं. वे जिंदा रहते हुए कभी नहीं हारे.

16वीं सदी में दिल्ली के आखिरी हिंदू राजा बने हेमू बेहतरीन योद्धा व कुशल प्रशासक थे. वे 1501 में हरियाणा के रेवाड़ी के कुतुबपुर गांव में जन्मे थे.

हेमू का परिवार किराना व्यापारी था. अकबर के जीवनीकार अबुल फजल ने उन्हें तिरस्कारपूर्वक 'नमक बेचने वाला फेरीवाला' लिखा है.

इतिहासकार आरसी मजूमदार ने शेरशाह सूरी पर लिखी एक किताब के चैप्टर 'हेमू अ फॉरगॉटेन हीरो' में हेमू को बेहद बहादुर बताया है.

मजूमदार ने लिखा,'पानीपत के युद्ध में एक दुर्घटना से हेमू हार गए. नहीं तो उन्होंने ही दिल्ली में मुगलों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती.'

हेमू अपनी प्रतिभा से सुल्तान आदिल शाह के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे. मुगल बादशाह हुमायूं की मौत के बाद हेमू ने दिल्ली पर हमला बोला था.

हेमू का दिल्ली पर कब्जे के लिए 1556 में पानीपत में 14 साल के अकबर की सेना से युद्ध हुआ, जिसे हेमू की सेना ने हराकर भगा दिया.

हेमू ने खुद को दिल्ली का राजा घोषित किया. महज एक महीने बाद अकबर की सेना फिर से पानीपत में हेमू की सेना के सामने लड़ने उतरी.

युद्ध में बिना कवच पहने उतरे हेमू ने बेहद बहादुरी दिखाई. बदायूंनी की किताब 'मुंतखब-उत-त्वारीख' में हेमू की बहादुरी बताई गई है.

बदायूंनी ने लिखा कि हेमू के हमलों से अकबर की सेना भागने लगी. तभी अली कुली शैबानी के सैनिकों का एक तीर हेमू की आंख में घुस गया

हेमू आंख के रास्ते खोपड़ी में फंसे तीर के साथ भी लड़ते रहे और फिर बेहोश होकर गिर गए. मुगल सेना ने इसी के साथ 'धर्म का युद्ध' जीत लिया.

कहते हैं अकबर से हेमू की गर्दन नहीं कटी,तब उसके संरक्षक व सेनापति बैरम खां ने हेमू का सिर धड़ से काटकर अकबर का नाम लिया और मुगल सल्तनत कायम हो गई.