Mar 5, 2024, 12:36 PM IST

इस मुगल बादशाह ने इस्लाम छोड़ अपनाया था ये धर्म

Smita Mugdha

अकबर को मुगल साम्राज्य का सबसे कुशल और गुणी शासक माना जाता है. 

अकबर ने बतौर शासक उसने सभी धर्म और वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने की कोशिश की थी.

हिंदुओं के साथ बेहतर संबंध बनाने और उनका विश्वास जीतने के लिए उन्हें अपने दरबार में महत्वपूर्ण पद भी दिए थे.  

अकबर ने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंध बनाए और दरबार में हिंदू तीज-त्योहार मनाने की परंपरा शुरू की थी. 

बहुत कम लोग जानते हैं कि अकबर ने दीन-ए-इलाही नाम से अपना धर्म शुरू किया था जो हिंदू और इस्लाम का समावेशी रूप था. 

अकबर के खास नवरत्नों ने भी इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन शासक के तौर पर उसने इसे किसी पर थोपा नहीं.

दीन-ए-इलाही पंथ की शुरुआत करने से पहले अकबर ने हिंदू धर्म ग्रंथों का भी अध्ययन किया था और दर्शन की जानकारी ली थी. 

अकबर ने अपने शासनकाल में कई हिंदुओं को शासन का सर्वोच्च पद दिया था और उनसे परामर्श करता था.

अकबर के इसी समावेशी और उदार रवैये की वजह से उसे भारतीय इतिहास के सबसे सम्मानित शासक के तौर पर माना जाता है.