Jul 12, 2024, 05:52 PM IST
साल 1712 में बहादुर शाह (प्रथम) की मौत के बाद उसके बेटे जहांदार शाह ने गद्दी संभाली.
जहांदार शाह अपनी रंगीन मिजाजी के लिए जग जाहिर था. इसका एक तवायफ ने जमकर फायदा उठाया.
तानसेन के वंशज खसूरियत खान की बेटी लालकुंवर एक तवायफ थी.
जहांदार शाह लालकुंवर के प्रेम में इस कदर पागल था कि वह उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था.
जहांदार शाह लालकुंवर को अपने खजाने से 2 करोड़ रुपये के बराबर गुजारा भत्ता भी देता था.
एक बार तो जहांदार शाह ने हद ही कर दी. उसने लोगों से भरी नाव को पानी में इसलिए पटला दिया.
क्योकिं लालकुंवर ने कहा था कि उसने कभी भी लोगों के डूबते हुए नहीं देखा.
लोग कैसे चीखते-चिल्लाते हैं मै ये सब अपनी आखों से देखना चाहती हूं.