Oct 13, 2023, 03:19 PM IST

बाबर का वह सिपाही जिसके सामने हुमायूं ने टेक दिए थे घुटने

DNA WEB DESK

शेरशाह सूरी ने महज 5 साल भारत पर शासन किया लेकिन तकदीर बदल दी.

शेरशाह अकबर से ज्यादा महान शासक था, उसका सर्व धर्म समभाव, ऊंचे आदर्शों वाला था.

वह बेहद अनुशासनप्रिय था और रण कौशल उसमें कूट-कूटकर भरा था. 

वह बाबर का सैनिक था. साल 1528 में चंदेरी की लड़ाई में वह बाबर के लिए लड़ा, पर उसने ख्वाब देखा कि वह बादशाह बनेगा.

बाबर, शेरशाह को देखकर ही पहचान गया था कि ये हिंदुस्तान का बादशाह बनेगा, वह चाहता था कि शेरशाह हिरासत में रहे.

बाबर मरा तो शेरशाह की ताकत और बड़ी हो गई. हुमायूं बंगाल जीतना चाहता था लेकिन सामने शेरशाह था. वह हंगाल और बिहार का शासक बन गया था.

हुमायूं और शेरशाह के बीच ठन गई. हुमायूं, शेरशाह से कमजोर पड़ गया था.

साल 1537 में चौसा में दोनों के बीच संधि हुई, फिर 1540 में दोनों भिड़ गए. 

शेरशाह की वीरता देखकर हुमयूं के सैनिक भाग खड़े हुए. खुद हुमायूं भी भाग निकला. 

बिना एक भी सैनिक के मरे शेरशाह की जीत हो गई.

शेरशाह ने अपने छोटे से शासन काल में सड़कों और सरायों को लेकर क्रांतिकारी काम किया था. 

बिहार के सासाराम में शेरशाह का मकबरा है. उसकी मौत के 10 साल के भीतर, उसका राजवंश खत्म हो गया.