May 12, 2024, 08:01 PM IST
महाराजा छत्रपति के वंशज शाहू जी महाराज ने सामाजिक लोकतंत्र की नींव रखी थी.
महाराजा छत्रपति शाहूजी को दलितों का मसीहा माना जाता है.
उन्होंने जातिवाद तोड़ने के लिए एक ऐसा कदम उठाया था जिसके बाद दलितों को उनका अधिकार मिला.
जात-पात का भेद मिटाने के लिए महाराजा छत्रपति शाहूजी ने एक दलित की दुकान में जाकर चाय पी.
वे आंबेडकर जी के भी संपर्क में रहे और जाति के आधार पर भेदभाव को दूर करने की दिशा में काम करते रहे.
महाराजा छत्रपति शाहूजी ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए कई रचनात्मक रास्ते अपनाए थे.
उन्होंने 1902 में पहली बार अपने राज्य में आरक्षण लागू किया था, जो एक क्रांतिकारी कदम था.
उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जाति के लोगों को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया.
इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए कई स्कूल और कॉलेज खोले.