डॉगफाइट एक तरह का 'हवाई युद्ध' होता है. जब दो या अधिक लड़ाकू विमान हवा में आमने-सामने आकर लड़ते हैं.
जब दुश्मन देश के विमानों को रोकने या मार गिराने की जरूरत होती है, तो डॉगफाइट होती है. यह एक उच्च जोखिम वाली और रणनीतिक लड़ाई होती है.
2019 के पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भी 'डॉगफाइट' हुई थी.
भारत की तरफ से पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के 9 आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले में वायुसेना की गुप्त और सटीक स्ट्राइक शामिल थी. यदि पाकिस्तानी फाइटर जेट्स जवाब देने आते, तो डॉगफाइट संभव थी.
भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक फाइटर जेट्स जैसे तेजस, राफेल या सुखोई-30 डॉगफाइट में तेजी, सटीकता और मारक क्षमता का प्रदर्शन करते हैं.
ऐसे ऑपरेशनों में पायलटों को पहले से डॉगफाइट की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि दुश्मन की जवाबी कार्रवाई में वे प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें.
जब आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की जाती है, तो वायुसीमा में दुश्मन के फाइटर जेट्स से मुकाबले की आशंका रहती है, जिसके लिए डॉगफाइट की रणनीति जरूरी होती है.
यह साबित करता है कि भारत न केवल जमीनी स्तर पर, बल्कि हवा में भी दुश्मन से लोहा लेने के लिए पूरी तरह सक्षम है.
भारत की तरफ से इतनी तेज और सटीक कार्रवाई हुई कि पाकिस्तान को जवाब देने का मौका नहीं मिला. यानी डॉगफाइट की नौबत ही नहीं आई.