कुंभ मेला में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की गिनती कैसे होती है?
Raja Ram
कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की गिनती एक बड़ा सवाल है, खासकर जब अनुमानित संख्या करोड़ों तक पहुंचती है. तो सवाल उठता है कि इन सबकी सही गिनती आखिर कैसे की जाती है?
कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की गिनती का सिलसिला 19वीं सदी से शुरू हुआ था. पहले यह गिनती अनुमान से होती थी, लेकिन अब समय के साथ तकनीक भी बदल गई है.
1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर और रेलवे टिकट बिक्री के आंकड़ों के आधार पर श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया.
1906 के कुंभ में 25 लाख और 1918 के कुंभ में करीब 30 लाख लोग पहुंचे थे. इस तरह आंकड़ों का अनुमान लगाना उस समय भी एक चुनौती था.
आजकल कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. 200 स्थानों पर अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
इस बार मेले में 268 जगहों पर 1107 अस्थाई कैमरे लगाए गए हैं. यह कैमरे श्रद्धालुओं और वाहनों की संख्या की गिनती में मदद करते हैं.
श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान नावों, ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों से आने वाले लोगों की गिनती से भी लगाया जाता है. ये आंकड़े गिनती के अहम हिस्से होते हैं.
आज के समय में बढ़ती भीड़ और यातायात प्रबंधन के कारण कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की सही गिनती करना पहले से कहीं अधिक जटिल हो गया है. अब ये तकनीकी उपाय इसे संभव बना रहे हैं.