May 12, 2024, 09:53 AM IST
कौन होती थीं देवदासी, क्यों करती थी मंदिरों में नाच-गाना?
Smita Mugdha
‘देवदासी’ एक हिन्दू धर्म की प्राचीन प्रथा है और भारत के कुछ क्षेत्रों में मंदिरों में देवदासियां होती थीं.
खास कर दक्षिण भारत में महिलाओं को धर्म और आस्था के नाम पर देवदासी बनाने का चलन होता था.
ये प्रथा छठी सदी में शुरू हुई थी. इसके तहत कुंवारी लड़कियों को ईश्वर के साथ ब्याह कर मंदिरों को दान किया जाता था.
माता-पिता अपनी बेटी का विवाह देवता या मंदिर के साथ कोई मान्यता पूरी होने या आस्था के तहत कर देते थे.
देवता से ब्याही इन महिलाओं को ही देवदासी कहा जाता है और ये मंदिरों की सफाई सजावट और देखभाल करती थीं.
देवदासियों को गीत-संगीत की भी शिक्षा दी जाती थी और खास लोगों के आगमन पर वह अपनी कला का प्रदर्शन करती थीं.
मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण तथा कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी देवदासी प्रथा का उल्लेख मिलता है.
मंदिरों में देवदासियों का काफी शोषण भी होता था और कई बार प्रभावशाली लोग इनके साथ जबरदस्ती तक करते थे.
अंग्रेजों और आजादी के बाद भारत सरकार ने मंदिरों से देवदासी प्रथा को खत्म करने के लिए कोशिश की थी.
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