Apr 7, 2025, 01:04 PM IST

रानियों को तोहफे में जेवर के साथ सोने के मुहर क्यों देते थे राजा?

Smita Mugdha

पुराने दौर में मुगल ही नहीं हिंदू राजाओं की भी कई रानियां होती थीं और उन्हें राजा कई महंगे तोहफे देते थे. 

मुगल बादशाहों की रानियां हों या फिर रनिवास में रहने वाली हिंदू रानियां सबको तोहफे में भर-भरकर जेवर मिला करते थे. 

क्या आप जानते हैं कि राजा महाराजा अपनी रानियों को होली-दिवाली जैसे त्योहार के मौके पर भी तोहफे में सोने चांदी के जेवर देते थे. 

राजा-महाराजा अपनी रानियों को तोहफे में देश विदेश से मंगवाकर महंगे जेवरात, सोने के सिक्के और मोहरे भी देते थे. 

क्या आप जानते हैं कि पुराने जमाने में राजा अपनी रानियों को सोने के सिक्के और मुहरें तोहफे में क्यों देते थे? 

उस समय की परिस्थितियों में राजाओं को अक्सर ही युद्ध के लिए या दूसरे कारणों से महीनों महल से बाहर रहना पड़ता था. 

महल में आक्रमण होने की स्थिति या किसी और विकट परिस्थिति में रानियों के लिए सोने के सिक्के एक सुरक्षा कवच की तरह होते थे. 

रानियां इन सोने के सिक्कों को लेकर सुरक्षित ठिकाने पर जा सकती थीं या जरूरत के वक्त पर इन्हें अपने विश्वासपात्र को मदद के लिए दे सकती थीं. 

जेवर रानियों के लिए शाही घराने का प्रतीक होते थे और सोने के मोहर और सिक्के एक तरीके से भविष्य के लिए सुरक्षा कवच होते थे.