Aug 14, 2024, 08:44 AM IST
घुंघरू या पायल क्या था तवायफों के श्रृंगार का अहम हिस्सा
Smita Mugdha
तवायफों की जिंदगी में घुंघरू अहम हिस्सा था क्योंकि इन्हें पहनकर ही वो नृत्य किया करती थीं.
ज्यादातर तवायफें कथक या भरतनाट्यम जैसे नृत्य करती थीं जिसमें घुंघरू पहने जाते थे.
तवायफों की जिंदगी में घुंघरू का अहम स्थान था और इसे पैरों में पहनने से पहले प्रणाम करने की परंपरा है.
बहुत से लोगों का मानना है कि तवायफों के जिंदगी में घुंघरू का जितना स्थान होता था उतना पायल का नहीं था.
तवायफों की जिंदगी में भी पायल श्रृंगार का अहम हिस्सा होता था और अक्सर वह भारी पायल पहना करती थीं.
घुंघरू का स्थान उनके जीवन में संगीत और नृत्य साधना के दौरान होता था जबकि पायल वह आम महिलाओं की तरह पहनती थीं.
आम औरतों के जीवन में आम तौर पर घुंघरू का स्थान नहीं होता था, क्योंकि यह नृत्य के दौरान पहना जाता है.
दूसरी ओर तवायफों का जीवन घुंघरू के बिना अधूरा था क्योंकि नृत्य करने से लेकर अभ्यास के दौरान इसे पहनती थीं.
आज भी कथक, भरतनाट्यम समेत तमाम दूसरे भारतीय नृत्य कलाओं में घुंघरू का प्रयोग होता है.
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