Jun 26, 2024, 12:59 PM IST

भगवान श्रीकृष्ण के इन मुस्लिम भक्तों को जानते हैं आप?

Ritu Singh

भगवान कृष्ण के हिंदू भक्तों के बारे में तो आप खूब जानते होंगे लेकिन क्या कभी कान्हा के मुस्लिम भक्तों के बारे में सुना है?

आइए आपको कान्हा के ऐसे मुस्लिम भक्तों के बारे में बताएं जो उनकी भक्ति में पूरे जीवन रमे रहे थे.

रसखान कृष्ण भक्त थे . उनका असली नाम सैयद इब्राहिम था.

 लेकिन कृष्ण भक्ति और प्रभु की रचनाओं ने उन्हें रसखान बना दिया था. रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में किया था.

अमीर खुसरो भी कृष्ण की रमे थे. खुसरो ने ही ‘छाप तिलक सब छीनी रे से मोसे नैना मिलायके’ कृष्ण को समर्पित किया था.

असल में एक बार निजामुद्दीन औलिया के सपने में कृष्‍ण आए. औलिया ने अमीर खुसरो से कृष्ण की स्तुति में कुछ लिखने को कहा था. 

 रीति काल के कवि आलम शेख थे. असल में  आलम हिंदू थे जो मुसलमान बन गए थे. उन्‍होंने कृष्‍ण की बाल लीलाओं को अपनी रचनाओं में उतारा था. 

उनकी प्रमुख रचना ‘पालने खेलत नंद-ललन छलन बलि, गोद लै लै ललना करति मोद गान’ है.

उमर अली यह बंगाल के प्राचीन श्रीकृष्‍ण भक्‍त कवियों में से एक हैं. इनकी रचनाओं में भगवान कृष्‍ण में समाए हुए राधाजी के प्रति प्रेम भाव को दर्शाया गया है. इन्‍होंने बंगाल में वैष्‍णव पदावली की रचना की है. 

नवाबों के आखिरी वारिस वाजिद अली शाह का प्रेम भगवान राम के प्रति  था लेकिन जब वह फैजाबाद से लखनऊ आकर बसे तो कृष्‍ण के दीवाने हो गए थे. 

1843 में वाजिद अली शाह ने राधा-कृष्ण पर एक नाटक करवाया था. वाजिद अली शाह कृष्ण के जीवन से बेहद प्रभावित थे. वाजिद के कई नामों में से एक ‘कन्हैया’ भी था.

नशीर मामूद यह भी बंगाल से ही आते हैं.  इनका जो पद मिला है उसमें उन्होंने गौचारण लीला का वर्णन किया है.