Jun 5, 2023, 05:03 PM IST
हमारा पूरा शरीर लगभग 60-70 फीसदी पानी से बना है पर आपने कभी सोचा है जिस पानी को हम पीते हैं और जिन नदियों से वह आता है वो नदियां आखिर बनती कैसे हैं आइए जानते हैं.
वर्षा और हिमपात
नदी बनने की प्रक्रिया वर्षा या स्नोफॉल से शुरू होती है. भारत में मानसून में पानी तो सर्दियों में हिमपात के कारण ही पानी धरती पर पहुंचता हैं.
भारत के भूभाग में विभिन्न पर्वत श्रृंखलाएं, पठार और मैदान शामिल हैं. भारत की जल निकासी प्रणाली नदियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारत में नदियों आमतौर पर को 2 श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है पहला हिमालयी नदियां और प्रायद्वीपीय नदियां.
जल निकासी प्रणाली
हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने से हिमालय की नदियां बनती हैं. इस क्षेत्र में खड़ी ढलानों और प्रचुर मात्रा में वर्षा के कारण इन नदियों में पानी की मात्रा अधिक होती है. उदाहरणों के तौर पर गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और सिंधु आदि.हिमालय की नदियां
हिमालय की नदियां
भारत में Penisular Rivers मुख्य रूप से वर्षा पर आधारित हैं. ये नदियां मौसमी होती हैं और ये पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट से मानसून में प्रवाहित होती. इन नदियों में पानी की मात्रा हिमालयी नदियों की अपेक्षा कम होता है. उदाहरणों के तौर पर गोदावरी, कृष्णा, महानदी और कावेरी आदि.
प्रायद्वीपीय नदियां
भारत में नदियां उसकी सहायक नदियों के साथ मिलकर नदी तंत्र बनाती है. ये सहायक नदियां जल के प्रवाह में योगदान करती हैं और नदियों की कुल लंबाई और जल निकासी क्षेत्र को बढ़ाती हैं.
रिवर नेटवर्क
जैसे-जैसे नदियां विभिन्न क्षेत्रों से होकर बहती हैं, नदी का प्रवाह मिट्टी के कटाव व चट्टानों के नष्ट होने से प्राप्त मलबे और वनस्पतियों के अवशिष्टों को बहाकर आगे ले जाता है. जिससे नदी घाटियों का निर्माण करती है.
अपरदन और निक्षेपण