Aug 17, 2024, 07:03 PM IST
पसीने की बदबू और दिनभर फ्रेश रहने के लिए आजकल लोग कई तरह के इत्र, परफ्यूम, सेंट, डियो का इस्तेमाल करते हैं.
इनमें से इत्र की खुशबू सबसे तेज होती है, जिसकी खुशबू प्राकृतिक मानी जाती है और इसमें किसी तरह का अल्कोहल नहीं होता है.
भारत में इत्र बनाने की परंपरा आज से नहीं बल्कि कई वर्षों से चली आ रही है और इसका जिक्र भारतीय ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में भी मिलता है.
इत्र का संबंध मुगल काल से भी जोड़ा जाता है. भारत में इत्र लगाने और इसके व्यापार का चलन सबसे अधिक मुगल काल में ही देखा गया था.
कई इतिहासकारों का मानना है कि सबसे नई और पॉपुलर गुलाब से सुगंधित इत्र बनाने की कला नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने शुरू की थी.
इत्र के सबसे बड़े शौकीनों में मुगल बादशाहों का नाम आता है. बाबर, अकबर से लेकर जहांगीर और औरंगजेब तक इत्र का इस्तेमाल करते थे.
मुगल राजकुमारियों का स्नान खुशबू और इत्र के बिना पूरा नहीं होता था. अन्य कई मुगल सम्राट भी इत्र की खुशबू के दीवाने थे.
मुगल, राजे-रजवाड़े के अलावा इत्र की खुशबू के दीवानों में कई शायरों का भी नाम आता है, मिर्जा गालिब इनमें से एक थे.