Dec 20, 2024, 05:22 PM IST
महाभारत से है इस मशहूर साड़ी का नाता
Kuldeep Panwar
मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ियां बेहद मशहूर हैं. यहां की सिल्क ही नहीं बल्कि चंदेरी फेब्रिक डिजाइन में बनी हर साड़ी का डिजाइन अनूठा होता है.
केवल देखने में सुंदर ही नहीं पहनने में कंफर्टेबल लगने वाली चंदेरी साड़ियों का इतिहास बेहद पुराना है, जिसका कनेक्शन भगवान श्रीकृष्ण से भी है.
चंदेरी सिल्क की शुरुआत महाभारत काल में मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के चंदेरी शहर में हुई थी, जो बुनकरों की नगरी कहलाता है.
बुंदेलखंड और मालवा को बांटने वाले चंदेरी शहर की साड़ियों का खोजकर्ता भगवान श्रीकृष्ण की बुआ के बेटे शिशुपाल को माना जाता है.
शिशुपाल वहीं हैं, जिनके पैदा होते समय 100 आंखें थीं, जो श्रीकृष्ण के छूते ही गायब हो गई थीं. श्रीकृष्ण ने उन्हें 100 पापों की माफी दे रखी थी.
चंदेरी शहर की साड़ियां हमेशा मशहूर रही हैं. इसका एक कारण 11वीं सदी में देश के अहम व्यापारिक मार्ग का इसी शहर से गुजरना भी था.
चंदेरी फैब्रिक पहले मिलमेड यार्न से बनाया जाता था, लेकिन ब्रिटिश काल में यह मैनचेस्टर से आने वाले कॉटन यार्न के इस्तेमाल से तैयार होने लगा.
साल 1930 के आसपास चंदेरी सिल्क कपड़े के ताने में जापानी सिल्क और बाने में कॉटन रखकर बनाया जाने लगा.
चंदेरी में प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन के नाम से तीन तरह के फेब्रिक्स मिलते हैं और इन तीनों की सुंदर साड़ियां बनती हैं.
चंदेरी फेब्रिक में नलफर्मा, डंडीदार, जंगला, मेहंदी और चटाई डिजाइन वाली साड़ियां और सूट के कपड़े आजकल बहुत ज्यादा पॉपुलर हैं.
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