Aug 10, 2024, 08:32 AM IST
तवायफों के कोठे पर होते थे ऐसे घिनौने काम
Ritu Singh
हर तवायफ की जिंदगी का बेहद दुख भरा दिन तब होता था जब उसकी बोली लगती थी.
बोली जिस दिन लगती थी उस दिन वो तवायफ आखिरी बार महफिल में अपना मुजरा पेश करती थी.
इस मुजरे को पेश करते हुए ही कई बार तवायफें रोने लगती थीं. अंतिम मुजरा एक रस्म होती थी.
क्योंकि ये रस्म तवायफो पर जबरन थोपी जाती थी और कई बार इस रस्म को निभाने से पहले उन्हें...
मारा-पीटा, खाना-पीना बंद कर देने जैसे हैवानिय भरे घिनौने काम किए जाते थे. क्योंकि कई तवायफें अपनी बोली नहीं लगवान चाहती थीं.
अक्सर किसी भी तवायफ ऐसे लोगों को सौंप दिया जाता था जो न केवल उम्र में बहुत बड़े, गंदे या क्रूर होते थे.
जो भी तवायफ की खरीदने की बड़ी बोली लगाता था तवायफ उसको बेच दी जाती थी.
इसके बाद तवायफ दोबारा कभी महफिल में मुजरा नहीं कर सकती थी. बोली के बाद तवायफ की जिंदगी केवल अपने खरीदार के लिए होती थी,
कई बार तवायफें बोली के बाद अपनी जिंदगी तक खत्म कर लिया करती थीं.
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