Jan 2, 2025, 07:57 PM IST
एक ही गोत्र में विवाह करने पर क्यों लगी है सदियों से रोक
Kuldeep Panwar
आपने कई बार लोगों को कहते हुए सुना होगा कि एक गोत्र में विवाह करना वर्जित है. कई बार लोग इसके वैज्ञानिक कारण भी गिनाने लगते हैं.
एक ही गोत्र के लोगों के विवाह को हिंदू धर्म में वर्जित माना गया है. इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं और धार्मिक-सामाजिक मान्यताएं भी हैं.
पहले समझिए कि गोत्र क्या होता है? गोत्र किसी भी वंश या कुल को कहते हैं. हिंदू समुदाय में अमूमन यह ऋषियों के नाम से निर्धारित होते हैं.
इसका मतलब है कि एक गोत्र के व्यक्तियों के पूर्वज एक ही रहे होंगे यानी एक तरीके से एक गोत्र की महिला और पुरुष आपस में बहन-भाई हैं.
धर्म ग्रंथों में भी एक ही गोत्र के महिला-पुरुष का विवाह निषेध किया गया है. इससे कई धार्मिक नियमों के टूटने का खतरा बताया गया है.
समाजशास्त्रियों का मानना है कि एक गोत्र में विवाह को निषेध करने का लक्ष्य समाज के विभिन्न गोत्रों के बीच संबंध स्थापित कर एकता बढ़ाना था.
वैज्ञानिकों ने भी कई रिसर्च के बाद एक गोत्र में आपसी विवाह पर रोक को साइंटिफिक रूप से सही माना है. उन्होंने इसे इंसानी जींस से जोड़ा है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि एक गोत्र में आपसी विवाह से बच्चों में आनुवांशिक विकार आने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि मां-बाप के जींस समान होते हैं.
कुछ रिसर्च में एक गोत्र में विवाह करते रहने पर उस परिवार में प्रजनन क्षमता एक पीढ़ी के बाद खत्म होने का खतरा होने की चेतावनी दी गई है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि एक ही गोत्र में विवाह करते रहने से उस गोत्र के जींस में जो कमियां होंगी, वो अगली पीढ़ियों में बढ़ती चली जाती हैं.
इससे एक ही गोत्र में विवाह करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव होते हैं और लंबे समय के बाद ये नकारात्मक प्रभाव उस वंश को खत्म कर देते हैं.
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