स्पेस से पृथ्वी पर लौटने के बाद कैसा महसूस करते हैं एस्ट्रोनॉट्स?
Jaya Pandey
अंतरिक्ष में कई हफ्ते या महीने बिताने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के लिए धरती पर वापस लौटना इतना भी आसान नहीं होता है.
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की ओर वापस लौटना एस्ट्रोनॉट्स के लिए कई शारीरिक और मानसिक चुनौतियां लेकर आता है.
एक बार जब एस्ट्रोनॉट्स धरती पर वापस आ जाते हैं तो उनके शरीर को गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होना पड़ता है जिससे उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं.
वापस आने पर उन्हें संतुलन से जुड़ी दिक्कतें, मांसपेशियों की कमजोरी और दूसरे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
नासा की रिपोर्ट के अनुसार वजन सहन करने वाली हड्डियां स्पेस फ्लाइट के दौरान प्रति माह लगभग 1% से 1.5% खनिज घनत्व खो सकती हैं.
इतना ही नहीं गुरुत्वाकर्षण की कमी से शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर द्रव पहुंचने लगता है जो समय के साथ हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है.
द्रव में बदलाव से इंट्राक्रैनील दबाव बढ़ सकता है जिससे नजर से संबंधित कमजोरी हो सकती है जिसे स्पेसफ़्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है.
शारीरिक के अलावा एस्ट्रोनॉट्स को कई मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें चिंता और अवसाद जैसी दिक्कतें शामिल होती हैं.
ऐसे में धरती पर वापस लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के पुनर्वास और रिकवरी का इंतजाम किया जाता है जिसे वे अपनी पुरानी ताकत पा सकें और उन्हें अपने जीवन में वापस ढलने में मदद मिल सके.