Feb 13, 2025, 10:20 AM IST
अगर आपको यह लगता है कि भारत के गन्ने हमेशा से मीठे तो ऐसा बिलकुल भी नहीं था क्योंकि इन महिला बॉटेनिस्ट के बिना ऐसा बिलकुल भी नहीं हो पाता.
1900 के समय में भारत में गन्ना जावा और इंडोनेशिया से आयात किया जाता था. भारत में उस दौरान गन्ने का उत्पादन तो प्रचुर मात्रा में होता था लेकिन वे मीठे नहीं होते थे.
सीए बार्बर और टीएस वेंकटरमन नाम के दो साइंटिस्ट ने कोयंबटूर में शुगरकेन ब्रिडिंग सेंटर की स्थापना की और गन्ने की हाइब्रिड प्रजातियों पर रिसर्च शुरू किए.
ई.के. जानकी अम्मल नाम की महिला बॉटेनिस्ट भी उनसे जुड़ गईं और गन्ने पर रिसर्च करने लगीं. उनके रिसर्च से गन्ने की नस्लों की बेहतर समझ विकसित हुई.
इससे गन्नों की मीठी किस्मों के बेहतर हाइब्रिड प्रजातियों का विकास हुआ और आज देश उनकी ही मेहनत का फल चीनी के रूप में रोज चख रहे हैं.
ई.के. जानकी अम्मल का जन्म 1897 में केरल में हुआ था. उन्होंने मद्रास के क्वीन मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन और प्रेसीडेंसी कॉलेज से बॉटनी की पढ़ाई की थी.