Jan 30, 2025, 11:17 AM IST

पहाड़ पर चढ़ते हुए क्यों फूलने लगती है सांस?

Jaya Pandey

अक्सर आपने महसूस किया होगा कि समतल धरती पर चलने की अपेक्षा पहाड़ी इलाकों में चलना मुश्किल होता है. इस दौरान सांस फूलने की समस्या भी आम होती है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर पहाड़ पर चढ़ते हुए हमारी सांस क्यों फूलने लगती है. आगे की स्लाइड्स में हम आपको इसके कारण के बारे में बताएंगे.

पहाड़ पर चढ़ते समय होने वाली दिक्कतों को एल्टीट्यूड सिकनेस यानी ऊंचाई से होने वाली बीमारी के नाम से जाना जाता है. 

पहाड़ पर चढ़ते समय सांस फूलने की वजह यह है कि ऊंचाई पर हवा का घनत्व कम होता है और ऑक्सीजन की कमी होती है. इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है. 

पहाड़ पर चढ़ने के साथ-साथ वायुमंडलीय दबाव भी कम होता जाता है और ऊंचाई पर जाने के साथ-साथ ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती जाती है. 

इसके अलावा पहाड़ पर चढ़ते समय गुरुत्वाकर्षण के ख़िलाफ़ अपने शरीर को आगे की ओर धकेलना पड़ता है जिससे सांसें तेज़ और उथली हो जाती हैं. 

ऊंचाई पर हवा के दबाव और ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के कारण हमारी सांस फूलने लगती है. ऊंचाई पर बाहर की हवा का दबाव फेफड़ों के अंदर की तुलना में कम होता है.

पतली हवा को शरीर के अंदर खींचना और नसों के लिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन पंप करना मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सांस लेना मुश्किल होता है.