Jul 27, 2024, 05:58 AM IST

10 श्राप जिसने महाभारत का खेल बदल दिया था

Ritu Singh

महाभारत युद्ध का जो परिणाम आया वह शायद कुछ और हो सकता था अगर कुछ खतरनाक श्रापों से योद्धा बच गए होते.  

इन श्रापों के चलते ही महाभारत युद्ध की पूरी कहानी ही पलट गई थी. कौन से थे ये 10 श्राप और किसने, किसे दिए थे, चलिए जानें.

द्यु वसु ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु का हरण अगर न किया होता तो उन्हें मनुष्य बन धरती पर जन्म लेने का श्राप न मिला होता. 

ये 8 वसु ही गंगा के पुत्र थे और जिनमें से 7 को उन्होंने नदी में बहा दिया था लेकिन आठवे को बहाते समय शांतनु न टोका और भीष्म बच गए. 

भीष्म ने ब्रह्मचारी रहने की शपथ ली थी और महाभारत की कहानी का पहला बीज यहां से बो दिया गया.

 सत्यवती-शांतनु के पुत्र विचित्रवीर्य के विवाह के लिए भीष्म नेकाशीराज की 3 पुत्रियों का हरण किया लेकिन बाद में बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया.

अम्बा ने तब भीष्म को उनकी मृत्यु का कारण स्वयं बनने का श्राप दिया और महाभारत में भीष्म के की मौत की वजह बनी. वरना पांडवों का भीष्म को हराना नामुमकिन था.

 कुंती और माद्री के पति राजा पांडु आखेट के दौरान मृग के भ्रम संभोग कर रहे ब्राह्मण और उनकी पत्नी को मार दिया था.

ऋषि किंदम ने पांडु को श्राप दिया था कि जब भी वह किसी स्त्री से संभोग करेंगे मर जाएंगे और मादरी के साथ संभोग के दौरान उनकी मौत हुई थी. 

कर्ण ने परशुराम से धोखे में रखकर युद्ध शिक्षा ली थी और इसके कारण कर्ण को सबसे चुनौतीपूर्ण युद्ध में सारे ज्ञान को भूलने का श्राप मिला था.

इसके चलते महाभारत युद्ध में अर्जुन के साथ युद्ध करते हुए कर्ण सारी युद्ध विद्या भूल गया और अर्जुन के हाथों मारा गया. वरना कर्ण को हराना नामुमकिन था.

  घटोत्कच ने द्रौपदी को सम्मान नहीं दिया था इससे नाराज पांचाली ने उसका जीवन बहुत छोटा होने का श्राप दे दिया था. 

यही कारण था कि महाभारत युद्ध में वह तुरंत मारा गया वरना कौरव सेना को वह कुछ दिनों में ही खत्म कर सकता था

  महाभारत के बाद सांत्वना देने भगवान श्रीकृष्ण गांधारी के पास गए.श्रीकृष्ण की देखते ही गांधारी ने उनके पूरे कुल के नाश का श्राप दिया था

 महाभारत में अश्वस्थामा ने पांडव पुत्रों की सोते हुए हत्या की थी जिससे गुस्साए कृष्ण ने 3,000 वर्ष तक धरती पर रहने का श्राप दिया था. 

अर्जुन को अपसरा उर्वशी ने नपुंसक होने का श्राप दिया था और अज्ञातवास के दौरान अर्जुन किन्नर बनकर रहे थे

 महर्षि मैत्रेय हस्तिनापुर पधारे थे तब उन्होंने दुर्योधन का गलत तरीके से जुए में पांडवों के हराने पर निंदा की तो दुर्योध ने गुस्से में अपनी जांघ ठोककर ऋषि का अपमान किया था. 

 तब ऋषि ने उसे श्राप दिया कि जिस जंघा को तू ठोंक रहा है. उस जंघे के टूटने से तेरी मौत होगी

एक बार राजा परीक्षित समीक ऋषि  पर मरा सांप फेंक दिया था और ऋषि पुत्र ने ये देखकर राजा परीक्षित को 7 दिन में सांप के काटने से मौत का श्राप दिया और इसके बाद से ही कलयुग प्रारंभ हो गया.