भगवान कृष्ण ने गीता में 6 काम करने से हर इंसान को बचने की सीख दी है.
भगवत गीता में पाप और पुण्य से जुड़ी बातें भी वर्णित हैं. उसमें वर्णित है कि कुछ पाप महापाप हैं और इनकी माफी नहीं मिलती.
हिंसा को महापाप माना गया है. शारीरिक ही नहीं मानसिक हिंसा भी इसमें शामिल है.
चोरी भी महापाप की श्रेणी में है. यहां चोरी सिर्फ धन-संपत्ति चुराने से नहीं, बल्कि किसी की सफलता में बाधा डालने या किसी की प्रतिष्ठा धुमिल करना भी महापाप है.
बलात्कार को भी महापाप माना गया है.
किसी भी चीज का लालच महापाप है. क्योंकि लालच हमेशा बुरे कर्म को प्रेरित करता है.
ईर्ष्या करना भी महापाप है. ऐसा इसलिए क्योंकि ईर्ष्या व्यक्ति को इसके लिए अनुचित मार्ग चुनता है.
अहंकार में व्यक्ति सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाता है और पाप कर्म करने लगता है. इसलिए अहंकार बड़ा पाप माना गया है.
कृष्ण का कहना है कि इन 6 महापाप कर्म इंसान को गर्त में ले जाते हैं.