Mar 13, 2024, 12:08 PM IST

द्रौपदी ने जिसे माना था बहन वही बन गई सौतन

Smita Mugdha

महाभारत में द्रौपदी का किरदार बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें अपने जीवन में बहुत सारे दुख भी झेलने पड़े थे. 

द्रौपदी की जिंदगी के एक पक्ष के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भी उन्हें बहुत बड़ा त्याग करना पड़ा था.

महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद कौरव पक्ष की विधवा स्त्रियों और रानियों के जीवन और सम्मान का प्रश्न खड़ा हो गया था. 

लोकनीति और कृष्ण के आदेश को मानते हुए अर्जुन ने दुर्योधन की पत्नी भानुमति से विवाह किया, ताकि उनकी ठीक से देखभाल हो सके.

द्रौपदी के लिए यह दुख और त्याग दोनों ही था, क्योंकि सभी पांडव भाइयों में अर्जुन ही द्रौपदी के दिल के सबसे करीब थे. 

इसके अलावा, दुर्योधन के किए अपमान के बाद भी द्रौपदी ने भानुमति से कभी बैर नहीं किया था और उन्हें अपनी बहन मानती थीं. 

इसके अलावा, दुर्योधन के किए अपमान के बाद भी द्रौपदी ने भानुमति से कभी बैर नहीं किया था और उन्हें अपनी बहन मानती थीं. 

महाभारत युद्ध के बाद परिस्थितियां ऐसी बनीं कि द्रौपदी और भानुमति दोनों ही अर्जुन की पत्नी बन गईं और रिश्तों के बदले रूप में दोनों सौतन भी थीं. 

इस तरह से महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भी द्रौपदी के जीवन का संघर्ष आजीवन चलता ही रहा था.