भीष्म पितामह को बाणों की शय्या पर देख क्यों जोर-जोर से हंसने लगी थीं द्रौपदी
Nitin Sharma
महाभारत के प्रमुख पात्रों में भीष्म पितामह कौरव और पांडवों के दादा थे.
भीष्म पितामह भी बेहद प्रतापी थे. उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, लेकिन अंत में उनकी हालत बेहद कष्टदायक हो गई.
उन्होंने बाणों की शय्या पर लेटकर असहनीय पीड़ा होने के बाद भी अपने प्राणों को नहीं त्यागा.
इसकी वजह भीष्म पितामह की इच्छा महाभारत का युद्ध देखने के थी. युद्ध के दौरान हर दिन शाम को कौरव और पांडव भीष्म पितामह से मिलने आते थे.
एक दिन सभी भीष्म पितामह से मिलने आये. इसी दौरान द्रौपदी भी वहां पहुंची और जोर जोर से हंसने लगी.
यहां द्रौपदी को हंसता देख पांडव और कौरव दोनों ही आश्चर्य में पड़ गये. सभी ने उनसे हंसने की वजह पूछी.
तब द्रौपदी ने कहा कि जो भीष्म पितामह युद्ध के नियमों और आदर्शों के बारे में प्रवचन दे रहे हैं. जब दुर्योधन ने मेरा चीर हरण किया. तब इनके आदर्श कहां थे.
द्रौपदी ने कहा कि सब कुछ गलत होते देखकर वह चुप क्यों रहे. तब वह अपने आदर्श और मूल्य कहा भूल गये थे.
इस पर भीष्म पितामह ने कहा कि द्रौपदी उस समय मैं कौरवों का नमक खा रहा था. उनका कर्ज था, जिनका अन्न खाते हैं उसका विरोध करना सही नहीं है.