नई नवेली दुल्हन मायके में ही क्यों मनाती है पहली होली, जानिए वजह
Nitin Sharma
रंगों का त्योहार होली का उत्साह चढ़ने लगा है. इस बार होली 25 मार्च को मनाई जाएगी.
घरों में हफ्ते भर पहले इस त्योहार को मनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. इसमें गुजियां बनाने से लेकर रंग लगाने तक की परंपरा है.
होली पर एक परंपरा नवविवाहित बहू की शादी के बाद पहली होली ससुराल में न मनाने का प्रचलन है. आज के समय में ज्यादातर लोग इसकी सही वजह नहीं जानते हैं, कुछ लोग जानना चाहते हैं तो उन्हें सही जवाब नहीं मिल पाता है.
पुराणों में बताया गया है कि हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस के घर में पुत्र प्रह्लाद ने जन्म लिया था. वह जन्म से ही भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था.
हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुश्मन मानता था. बचपन से ही पिता अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहता था. इसमें उसकी बहन होलिका ने भी साथ दिया.
होलिका के पास एक ऐसा वस्त्र था, जिसे ढकने पर वह आग में नहीं जल सकती थी. इसके लिए होलिका खुद पर वह वस्त्र ढककर अपने भतीजे प्रह्लाद को मारने के लिए अग्नि में बैठ गई.
भगवान विष्णु के जाप से प्रह्लाद पर होलिका का वस्त्र आ गया और वह बच गया. जबकि आग में जलकर होलिका की मौत हो गई.
इसके अगले ही दिन होलिका की बारात आनी थी. जब उसकी सास बारात लेकर पहुंची तो होलिका को मृत पाया.
यह देखते ही होलिका की सास ने भी प्राण त्याग दिये. तभी से परंपरा है कि नवविवाहित दुल्हन अपनी पहली होली मायके में मनाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)