Jan 13, 2024, 09:39 PM IST

नागा साधु को क्यों नहीं लगती है कड़कती ठंड?

Kuldeep Panwar

आप बर्फीले पहाड़ पर रहते हों या मैदान में, जरा सा मौसम बदलकर तापमान गिरने से आपकी हालत खराब हो जाती है. ठंड में आम लोग कई-कई जोड़े कपड़े पहनकर घूमने लगते हैं.

क्या कभी आपने ठंड के मौसम में किसी नागा साधु या नागा साध्वी को देखा है? जमा देने वाली ठंड में भी नागा साधु नग्न अवस्था में और नागा साध्वी पतली सी चादर लपेटे हुए ही दिखाई देंगे.

नागा साधु चाहे हाड़ कंपाने वाली सर्दी हो या जिस्म को जलाने वाली चिलचिलाती गर्मी, हमेशा एक ही अंदाज में बिना कपड़ों के ही घूमते दिखाई देंगे.

नागा साधु-साध्वी ही नहीं अमूमन तकरीबन सभी साधु पतले से कपड़ों में ही दिखेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जमाने वाली ठंड में भी वे जिंदा कैसे रहते हैं?

दरअसल नागा साधु-साध्वी यह दर्जा पाने से पहले 12 साल तक कठोर जीवन का पालन करते हैं. इस दौरान वे योगासन का भी अनुसरण करते हैं.

ठंड से बचने के लिए नागा साधु तीन तरह के योग करते हैं. वे हिमालय के बर्फीले इलाकों में बिना कपड़े के साधना करते हैं. इससे उनका शरीर ठंड सहने का आदी हो जाता है.

नागा साधु तपस्या के दौरान योग का लगातार अभ्यास करते हैं, जिससे वे शरीर को ठंड के अनुकूल बना लेते हैं. उनके शरीर पर महज श्मशान की चिता की भस्म (राख) ही लिपटी दिखाई देगी. 

शरीर की इंद्रियों को काबू करने के लिए नागा साधु योगाभ्यास के साथ खानपान-विचार पर नियंत्रण रखने का भी काम करते हैं. इससे वे जैसा सोचते हैं, शरीर वैसा ही महसूस करने लगता है.

नागा साधु का खानपान भी सामान्य मनुष्य से बेहद अलग होता है. श्मशान में साधना के दौरान वे इंसानी शव का मांस खाते हैं. इसके अलावा हिमालयी जड़ी-बूटियों का भी उपयोग करते हैं.