Jul 19, 2024, 09:47 AM IST

कर्ण के 10 रहस्य जानते हैं क्या आप

Kuldeep Panwar

कर्ण को महाभारत के सबसे अभाग्यशाली, लेकिन प्रतिभाशाली व्यक्तियों में से एक गिना जाता है. कर्ण का जीवन हमेशा ही रहस्यमयी बना रहा.

कर्ण को सबसे बड़े धनुर्धर अर्जुन के समकक्ष योद्धा गिना जाता था और सबसे बड़ा दानवीर भी. आइए उनके जीवन के 10 चौंकाने वाले सच बताते हैं.

1. कर्ण और द्रौपदी एक-दूसरे को पसंद करते थे, लेकिन कर्ण के सूतपुत्र (रथ चलाने वाले का बेटा) होने के कारण शादी नहीं हो सकी. पांडवों से कर्ण की नफरत का यही कारण था.

2. कर्ण पूर्वजन्म में असुरों के राजा दंभोद्भावा थे. दंभोद्भावा सूर्य के परम भक्त होने के कारण कर्ण के रूप में जन्म से ही अभेद्य कवच-कुंडल के साथ पैदा हुए थे.

3. कर्ण को पांडवों की मां कुंती ने कुंआरे रहते हुए सूर्य के वरदान से जन्म दिया था, लेकिन कुंती ने उन्हें जल में बहा दिया था. उन्हें एक सारथी ने पाला था, इसलिए वे सूतपुत्र कहलाते थे.

4. कर्ण को पालने वाली महिला का नाम राधा था, इसलिए कर्ण का एक नाम राधेय भी था. साथ ही कर्ण का नाम वृषा भी था, जिसका अर्थ सत्यवादी, तपस्वी, वचनपालक और दयावान होता है.

5. कर्ण की दो पत्नी सूतपुत्री रूषाली और दुर्योधन की पत्नी भानुमति की सहेली सुप्रिया थी. दोनों से कर्ण के 9 पुत्र वृशसेन, वृशकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन हुए थे.

6. कर्ण के 9 पुत्रों में से वृशकेतु को छोड़कर सभी महाभारत युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे. युद्ध के बाद पांडवों नेे कर्ण के बड़ा भाई होने की जानकारी मिलने पर उनके बेटे वृशकेतु को इंद्रप्रस्थ का राजा बनाया था.

7. कर्ण ने अपनी मां कुंती को भी दान दिया था. यह दान अर्जुन को छोड़कर बाकी चारों पांडव भाइयों का कभी वध नहीं करने का अभयदान था.

8. कर्ण ने बिना कवच-कुंडल मौत निश्चित होने पर भी ब्राह्मण बनकर पहुंचे इंद्रदेव को शरीर से कवच-कुंडल काटकर दे दिए थे. मृत्युशैय्या पर भी कर्ण ने युद्धभूमि में सोने का दांत तोड़कर श्रीकृष्ण को दान दिया था.

9. कर्ण ने भगवान परशुराम से खुद को ब्राह्मण पुत्र बताकर ब्रह्मास्त्र चलाना सीखा था. सच पता चलने पर क्रोधित परशुराम ने उन्हें शाप दिया था कि जब उन्हें ब्रह्मास्त्र की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तब वे इसे चलाना भूल जाएंगे.

10. कर्ण ने गलती से शब्दभेदी बाण से  गाय के बछड़े की हत्या कर दी थी. तब उसे शाप मिला था कि वह भी खुद को असहाय महसूस करते समय मरेगा. युद्ध में रथ का पहिया धंसने पर असहाय कर्ण को अर्जुन ने तीर चलाकर मार दिया था.