Dec 26, 2024, 02:02 AM IST

भीम ने इस कारण तोड़ी थी दुर्योधन की जांघ

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध को दुनिया में आज तक हुआ सबसे घातक युद्ध माना जाता है, जिसमें महज 18 दिन के अंदर करोड़ों योद्धा मारे गए थे.

महाभारत के युद्ध का अंत भीम और दुर्योधन के बीच आखिरी दिन हुए गदा युद्ध से हुआ था, जिसमें भीम ने दुर्योधन को मारकर युद्ध खत्म किया था.

गदा युद्ध में कोई भी योद्धा विपक्षी की जांघ या उससे नीचे प्रहार नहीं करता है, लेकिन भीम ने ये नियम तोड़कर दुर्योधन की जांघ तोड़ दी थी.

दुर्योधन की जांघ तोड़ने की भीम ने प्रतिज्ञा ले रखी थी. इसी कारण उन्होंने यह कदम उठाया था, लेकिन क्या आप इस प्रतिज्ञा का कारण जानते हैं?

दरअसल जब द्रोपदी को चीरहरण के लिए दुशासन घसीटकर कौरव सभा में लाया था तो दुर्योधन ने उसे अपनी जांघ पर बैठने का ऑफर दिया था.

दुर्योधन की यह बात सुनकर क्रोधित भीम ने द्रोपदी के इस अपमान का बदला उसकी जांघ तोड़कर लेने की प्रतिज्ञा सभी के सामने ली थी.

जब दुर्योधन का युद्ध भीम से होने वाला था तो माता गांधारी ने आंखों की पट्टी खोलकर अपने सतीत्व के प्रभाव से उसके शरीर को वज्र का बना दिया था.

श्रीकृष्ण यह बात जानते थे. इस कारण उन्होंने गांधारी के सामने नग्न जा रहे दुर्योधन को लज्जित करके उन्हें जांघ पर पत्ते लपेटने को मजबूर कर दिया था.

दुर्योधन की जांघ पर पत्ते लिपटे होने के कारण उनका बाकी शरीर माता गांधारी की शक्ति से वज्र का हो गया था, लेकिन जांघ कमजोर रह गई थी.

युद्ध के समय दुर्योधन के शरीर के ऊपरी हिस्से पर भीम के वार बेकार रहे थे, तब श्रीकृष्ण के याद दिलाने पर उन्होंने दुर्योधन की जांघ तोड़ी थी.