Jul 8, 2024, 07:10 PM IST

एक चिह्न से भीष्म पितामह के सामने खुला था महाभारत का सबसे बड़ा राज़

Smita Mugdha

महाभारत युद्ध के 10वें दिन भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेट गए थे. 

भीष्म पितामह जब बाणों की शैय्या पर लेटे थे तब उनसे मिलने के पांडव और कोरव पक्ष के साथ कर्ण भी आए थे. 

कर्ण ने भीष्म पितामह के हाथों को स्पर्श किया और कहा कि आपने हमेशा मुझे हेय दृष्टि से देखा, मैं वही सुतपुत्र कर्ण हूं. 

इसके जवाब में भीष्म पितामह ने कहा कि पुत्र तुम सुतपुत्र नहीं बल्कि कुंती पुत्र कौन्तेय हो. 

भीष्म पितामह ने तब कर्ण से कहा था कि मैंने कभी तुम्हें हेय दृष्टि से नहीं देखा क्योंकि तुम कुंती और सूर्यदेव के पुत्र हो.

भीष्म पितामह ने तब कहा था कि उन्हें नारद जी ने बताया था और उनके ललाट पर सूर्य का तेज साक्षात नजर आता है. 

भीष्म पितामह ने कहा कि तुम्हारे व्यक्तित्व का तेज और वीरता ही हमेशा इसका प्रमाण रहा है कि तुम सुतपुत्र नहीं बल्कि पराक्रमी क्षत्रिय हो.

कर्ण ने महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष की ओर से युद्ध लड़ा था और वह सबसे पराक्रमी और वीर योद्धाओं में से एक माने जाते हैं.

कर्ण की वीरता और पराक्रम की तारीफ खुद भगवान श्रीकृष्ण ने भी की थी.