Jun 21, 2024, 12:48 PM IST

महाभारत के वो श्राप, जिनका आज भी है धरती पर प्रभाव

Aditya Katariya

हिन्दू धर्म ग्रंथो में कई श्रापों की चर्चा की गई हैं. 

ऐसे में आज आपको महाभारत के कुछ ऐसे श्रापों के बारे में बताएंगे,  जिनका प्रभाव आज के समय में भी देखा जा सकता है.

महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का धोखे से वध कर दिया था. ऐसे में तब अश्वत्थामा का पीछा करते हुए पांडव श्रीकृष्ण के साथ महर्षि वेदव्यास के आश्रम पहुंचे गए थे. 

वहां अश्वत्थामा ने पांडवों पर ब्रह्मास्त्र से हमला कर दिया था. ये देख अर्जुन ने भी उस पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा था.

महर्षि व्यास ने दोनों के बह्मास्त्रों को टकराने से रोक लिया था और अपने अस्‍त्र लेने को वापस कहा था. लेकिन अश्‍वत्‍थामा को ब्रह्मास्त्र को वापस लेने की विद्या नहीं पता थी. ऐसे में उसने अपने ब्रह्मास्त्र की दिशा को  अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी थी.

ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और यहां तुम किसी से बातचीत नहीं कर पाओगे और वन में पशु के समान रहोगे. 

जब महाभारत युद्ध खत्म हुआ तो माता कुंती ने पांडवों को यह राज बताया की कर्ण उनका बड़ा भाई था. 

युधिष्ठिर पूरे विधि-विधान से कर्ण का अंतिम संस्कार करते हैं और उसी पल उन्होंने समस्त स्त्री जाति को श्राप दे देते हैं कि कोई भी स्त्री कोई बात अपने पेट में छिपा कर नहीं रख पाएगी. 

स्‍वर्गलोक जाने से पहले पाडंवों ने अपना सारा राज्य अभिमन्‍यु के बेटे परीक्षित को सौंप दिया था. एक बार जब वह वन में आखेट खेलने गए थे, तब वहां उन्हें शमीक नाम के एक ऋषि मिले जो मौन व्रत धारण कर तपस्या में बैठे थे.

राजा परीक्षित ने उनसे कई बार बोलने का प्रयास किया, लेकिन जवाब नहीं मिलने पर राजा परीक्षित ने गुस्‍से में आकर ऋषि के गले में एक मारा हुआ सांप डाल दिया. 

जब इस बात का पता  ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी को चला तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया की आज से 7 दिन बाद तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो जाएगी. 

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.