कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध की वजह सिर्फ राज्य ही नहीं, मन में भरा अपमान भी था.अपमान का बदला और दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश ने महाभारत का युद्ध करा दिया.
इसमें मुख्य भूमिका कौरवों के मामा शकुनि ने निभाई. उसी ने दुर्योधन के मन में द्रौपदी के खिलाफ चल रही बदले की भावना को हवा दी. मामा शकुनि ने दुर्योधन को विश्वास दिलाया कि तुम इस खेल में पांडवों को हराकर अपना बदला ले सकते हो.
इसी के बाद दुर्योधन ने पांडु पुत्र युधिष्ठिर को चौसा के खेल में आमंत्रित किया. यह खेल ही महाभारत के युद्ध की मुख्य वजह बना. चौसा के खेल में पासा फेंकने का खेल शुरू हुआ.
खेल की शुरुआत में शकुनि ने पांडु पुत्र युधिष्ठिर को कुछ चालों में जीत दिलाई. जैसे ही वह खेल में रम गये युधिष्ठिर धीरे धीरे अपनी सारी दौलत और साम्राज्य हारते गये.
इसके बाद युधिष्ठिर ने अपने चारों भाईयों का दांव पर लगाया और हार गये. शकुनि ने कहा कि अगर उन्होंने अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा दिया तो वह एक ही बाजी में सब कुछ वापस पा सकते हैं.
इसके लालच और मजबूरी में कोई दूसरा रास्ता न दिखने पर युधिष्ठिर ने शकुनि की बात मान ली और द्रौपदी को दांव पर लगा दिया.
चौसा के खेल में युधिष्ठिर पत्नी द्रौपदी को भी हार गये. इसके बाद कौरवों ने द्रौपदी का चीर हरण किया.
पांडवों की का भरी सभा में अपमान किया गया. यही अपमान कुरुक्षेत्र के युद्ध का सबसे बड़ा कारण बना.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)