Dec 26, 2024, 08:17 PM IST
रावण महापंडित था, जिसे राजनीति और शक्ति का अथाह ज्ञान था, वह समस्त वेदों के ज्ञाता था और अस्त्र-शस्त्र में निपुण था.
इसलिए अंतिम युद्ध के बाद जब रावण युद्ध भूमि पर मृत्युशैया पर पड़ा होता है तब भगवान राम लक्ष्मण को उसके पास भेजते हैं.
ताकि लक्ष्मण महाज्ञानी और विद्वान रावण से जीवन के अहम ज्ञान को प्राप्त करें, जो रावण के अलावा और कोई नहीं दे सकता था.
भाई के आदेश पर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के पास गए, तब रावण ने लक्ष्मण को जीवन से जुड़े अहम उपदेश दिए.
रावण ने कहा कि किसी शुभ या अच्छे काम को करने में देर नहीं करनी चाहिए और बुरे या अशुभ काम के प्रति जितना हो सके मोह वश में करें या उसे टालने का प्रयास करे.
रावण ने लक्ष्मण को बताया था कि अपने शत्रु या प्रतिद्वंद्वी को कभी छोटा या कमतर नहीं समझना चाहिए, न ही अपने रहस्य किसी को बताएं.
किसी भी पराई स्त्री पर बुरी नज़र नहीं रखनी चाहिए और न कभी अपने सारथी, दरबान, और भाई से शत्रुता करनी चाहिए. खुद को हमेशा विजेता न समझें.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.