मां पार्वती के इस श्राप से जलकर स्वाह हो गई थी रावण की लंका
Nitin Sharma
त्रेतायुग में भगवान शिव का परम भक्त और शक्तिशाली राक्षस रावण को अपनी शक्तियों और सोने की लंका पर बड़ा अभिमान था.
त्रेतायुग में जब माता सीता की खोज में हनुमान जी निकले तो रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी. पूछ में लगी आग से पूरी लंका धू धूकर जल गई.
लंका के स्वाह होने के पीछे की वजह माता पार्वती का यह श्राप था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती के बुलावे पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी कैलाश पर्वत पर पहुंचे. यहां मां लक्ष्मी ठंड से ठिठुरने लगीं.
मां लक्ष्मी ने माता पार्वती से कहा कि आखिर इतनी ठंड में आप कैसे रह रही हैं. यह सुनकर पार्वती जी को दुख हुआ.
कुछ समय बाद भगवान शिव और माता पार्वती बैकुंठ धाम पहुंचे. यहां माता पार्वती वैभव देखती रह गई. इसी के बाद मां पार्वती ने भगवान शिव से अपना महल बनाने की इच्छा जाहिर की.
माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने विश्वकर्मा को सोने की लंका बनाने का काम सौंपा.
सोने का महल तैयार होने पर भगवान शिव ने पूजा के लिए रावण के पिता ऋषि विश्रवा को बुलाया. यहां ऋषि विश्रवा ने पूजा अर्चना कर भगवान से सोने का महल ही मांग लिया. इस पर भगवान शिव ने उन्हें तुरंत दान दे दिया.
ऋषि विश्रवा की इस बात से माता पार्वती बहुत ही क्रोधित हो गई. उन्हें ऋषि विश्ववा को श्राप दिया कि तेरी यह नगरी भस्म हो जाएगी.
कहा जाता है कि माता पार्वती के इसी श्राप की वजह से सोने की लंका जलकर भस्म हो गई.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)